मंदसौर: मध्यप्रदेश में संविदा कर्मियों (contract workers) की हड़ताल पिछले 10 दिनों से जारी है. संविदा स्वास्थ्य कर्मी नियमितीकरण (contract health worker regularization) और नियमित कर्मचारियों (regular employees) का 90 प्रतिशत वेतन दिए जाने की मांग कर रहे हैं, साथ ही अब तक निलंबित कर्मचारियों (suspended employees) की बहाली की भी मांग कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री को अपने खून से पत्र लिखा है.
हड़ताली कर्मचारियों ने मांग की है कि, जब तक सरकार उन्हें नियमित नहीं करती तब तक 2018 की नीति लागू की जाए. कर्मचारियों ने खून से लेटर लिखते हुए कहा कि, ‘मामा जी अपना संकल्प पूर्ण करो’. हड़ताली कर्मचारियों ने दावा किया है कि, संविदा स्वास्थ्य कर्मचारयों के हड़ताल में होने के कारण जिले में 33 डिलीवरी प्वाइंट बंद है. 201 उप स्वास्थ्य केंद्रों के ताले नहीं खुल रहे है. टीकाकरण और जांचे बंद हैं. अपनी मांगों को लेकर जिले के संविदा स्वास्थ्य अधिकारी, कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इसके चलते शहर सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो गई है. इस हड़ताल की शुरुआत 18 अप्रैल से हुई है.
ये हैं मांगें: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारी कर्मचारियों को नियमित किया जाए. जब तक नियमितीकरण नहीं हो जाता, तब तक 5 जून 2018 की नीति शासन समान्य प्रशासन द्वारा पारित नीति तत्काल प्रभाव से लागू की जाए और इनकी दूसरी मांग है कि आउटसोर्स प्रथा में किए गए सपोर्ट स्टाफ का समायोजन किया जाए. एवं पहले की गई अनिश्चित हड़ताल के कारण भोपाल में जिन संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए है, उन्हें तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए.
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि, 15 दिसंबर 2022 से 5 जनवरी 2023 तक 20 दिन चली हड़ताल के दौरान शासन के द्वारा हमारी न्यायोचित मांगों को पूरा करने संबंधी आश्वासन दिया गया था. लेकिन आज तक शासन के द्वारा हमारी मांगों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है. 90 प्रतिशत नीति की फाइल लंबित है. जिसको आज दिनांक तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. ऐसी स्थिति में फिर से हड़ताल पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है. आगामी दिनों में विभिन्न तरीकों से सरकार के समक्ष मांगों के लिए आवाज जोरदारी के साथ उठाई गई लेकिन कोई भी परिणाम नहीं निकला. धरने पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि, यदि शासन प्रशासन ने कोई सूध नहीं ली तो वो आमरण अनशन पर अपनी जायज मांगों को लेकर भोपाल में प्रदर्शन करेंगे.
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