भगोड़े व्यापारी विजय माल्या (Vijay Mallya) से जुड़े एक अवमानना केस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में विजय माल्य ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. माल्या ने 2017 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. इसमें 40 मिलियन डॉलर अपने परिजनों के खाते में ट्रांसफर किए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के खिलाफ अवमानना माना था.
परिवार के खातों में ट्रांसफर किए थे पैसे
जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने माल्या समेत अन्य पक्षों के वकीलों कि दलीलों पर गौर करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. माल्या ने चार करोड़ डॉलर अपने बच्चों के खातों में ट्रांसफर किए थे. इसके लिए उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था. यह फैसला 2017 में दिया गया था. इसके खिलाफ विजय माल्या ने पुनर्विचार अर्जी दाखिल की थी.
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस मामले पर सुनवाई की. लेकिन, एक दस्तावेज रिकॉर्ड में उपलब्ध न होने के चलते उन्होंने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी. बैंक का 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाने का आरोपी माल्या अभी ब्रिटेन में रह रहा है.
अदालत ने जून में अपनी रजिस्ट्री को यह बताने का निर्देश दिया था कि माल्या की पुनर्विचार याचिका पिछले तीन साल से संबंधित न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध क्यों नहीं की गई. रजिस्ट्री को उन अधिकारियों के नाम समेत सभी जानकारियां देने का निर्देश दिया गया था जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में पुनर्विचार याचिका से संबंधित फाइल संभाली.
भगोड़े कारोबारी माल्या ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के 9 मई 2017 के उस आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की थी जिसमें उसे आदेश का उल्लंघन कर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ डॉलर ट्रांसफर के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था.
न्यायालय ने 2017 का आदेश भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की याचिका पर दिया था. इसमें कहा गया था कि माल्या ने ब्रिटिश कंपनी डिएगो से मिले चार करोड़ डॉलर अपने बच्चों को कथित तौर पर दिए जो विभिन्न न्यायिक आदेशों का ‘घोर उल्लंघन’ है.
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