नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना मामले की सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने भूषण के ट्वीट्स का स्वतः संज्ञान लेते हुए एक दिन पहले उनके और ट्विटर इंडिया के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच करेगी जिसमें ट्विटर इंडिया को भी पक्षकार बनाया गया है।
मामला प्रशांत भूषण के कुछ ट्वीट्स को लेकर है जिनमें उन्होंने न्यायपालिका पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि वकील के किन ट्वीट्स को लेकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई है।
भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए अदालत की अवमानना का केस तो शुरू ही किया है, उनके खिलाफ ऐसा ही एक और केस है। उसकी भी इसी हफ्ते सुनवाई होगी। 2009 के एक मामले में भूषण और तहलका पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ अवमानना मामले में 24 जुलाई को सुनवाई होगी। तब भूषण ने तहलका को दिए इंटरव्यू में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और तत्कालीन सीजेआई एस. एच. कपाड़िया के खिलाफ बयान दिए थे।
प्रशांत भूषण न्यायपालिका पर लगातार हमले कर रहे हैं। वो कोविड-19 महामारी में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ काफी मुखर रहे और उनकी तीखी आलोचना करते रहे। 27 जून के एक ट्वीट में प्रशांत भूषण ने लिखा, ‘जब भविष्य में इतिहासकार यह देखने के लिए पिछले 6 साल पर नजर डालेंगे कि कैसे आपातकाल की औपचारिक घोषणा के बिना भारत में लोकतंत्र को कुचल दिया गया है तो वो इस बर्बादी में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका का विशेष जिक्र करेंगे और खासकर पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका का।
उन्होंने जेल में बंद भीमा कोरेगांव की घटना के आरोपियों वर्वरा राव और सुधा भारद्वाज के इलाज को लेकर भी कड़े बयान दिए। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि प्रशांत भूषण के किस/किन ट्वीट/ट्वीट्स को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना के दायरे में रखा। रिकॉर्ड्स में भी इसकी जानकारी नहीं दी गई है कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के खिलाफ यह कार्रवाई क्यों की है?
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