नई दिल्ली । देश में शनिवार से दो वॉरशिप्स यार्ड 3033 (Warships Yard 3033) और यार्ड 3036 का निर्माण शुरू हो गया. इन वॉरशिप्स को एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो क्राफ्ट (ASW SWC) परियोजना के तहत कोलकाता (Kolkata) स्थित जीआरएसई द्वारा बना गया है.
रक्षा सचिव आईएएस गिरिधर अरमाने (Giridhar Armane) ने इनके निर्माण का शुभारंभ किया. इसकी के साथ ही उन्होंने जीआरएसई के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि ये दोनों ही स्वदेशी जहाजों जो प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना को पूरा करते हैं.
उन्होंने बताया कि इन जहाजों में 80% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी पोतों के शामिल होने से आईएन की एएसडब्ल्यू क्षमता में इजाफा होगा.
दिसंबर में नौसेना में शामिल हुआ INS मोरमुगाओ
इससे पहले 18 दिसंबर को आधुनिक हथियारों से लैस स्वदेशी मिसाइल विध्वंस INS Mormugao भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच इस युद्धपोत का इंडियन नेवी में शामिल होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा था कि INS मोरमुगाओ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोत में से एक है. ये भारत की समुद्री क्षमता में बढ़ोतरी करेगा. उन्होंने कहा कि MDSL द्वारा तैयार यह युद्धपोत हमारी स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करती है.
मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड पर बनाए गए INS Mormugao में अनगिनत खूबियां हैं. इस स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर को आधुनिक युद्ध के लिए बनाया गया है. यह युद्धपोत भारतीय नौसेना के जंगी जहाजों के बेड़े में सबसे सक्षम और आधुनिक हथियारों से लैस है. इसकी सबसे खास बात ये है कि इसकी बाहरी परत को स्पेशल स्टील से बनाया गया है, ताकि दुश्मन राडार पर इसे लोकेट न कर पाए.
INS Mormugao में मध्यम दूरी की सतह से हवा में वार करने वाली SAM मिसाइलें, सतह से सतह पर वार करने वाली STS मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, सुपर रैपिड गन माउंट के अलावा, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम लगे हैं. ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, फोल्डेबल हैंगर डोर्स, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और बो माउंटेड सोनार शामिल है.
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