उज्जैन। इंदौर रोड पर आगे तो फोरलेन दिखाई देता है लेकिन होटल और मैरिज गार्डन के पीछे नदी है। नदी से 200 मीटर की सीमा में अस्थाई या स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकता। ऐसा करने पर सजा का प्रावधान है लेकिन टोल नाके से लेकर हरिफाटक ब्रिज तक एवं चिंतामण ब्रिज तक होटल वालों ने पीछे निर्माण कर लिए हैं तथा कोई अनुमति नहीं ली जिस पर अब टीएल की बैठक में निर्देश दिए गए हैं। कल हुई बैठक में कलेक्टर ने कहा कि सभी निर्माणों की जाँच हो और प्रकरण दर्ज किए जाए। इसके अलावा शादी-ब्याह का कचरा भी नदी में डाल दिया जाता है जिससे बदबू आ रही है। कलेक्टर आशीष सिंह ने कल टीएल बैठक में जिले में संचालित योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने जिले के सभी एसडीएम को निर्देशित किया है कि वे मुख्यमंत्री भू-अधिकार योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में दर्ज प्रकरणों के अन्तिम निराकरण के लिये ग्राम सभाएं आयोजित कर ग्राम सभाओं की मंजूरी प्राप्त करें एवं सभी पात्र लोगों को भू-अधिकार पट्टे दिये जायें। इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में भी धारण अधिकार के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए पात्र लोगों को भू-अधिकार प्रदान किया जाये। बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री भू-अधिकार ग्रामीण योजना के तहत अब तक सर्वाधिक 410 पट्टे बडऩगर जनपद में दिये गये हैं। इसी तरह धारण अधिकार के तहत नगरीय क्षेत्रों में 408 पात्र लोगों को धारण अधिकार प्रदान किया गया है।
सिंहस्थ क्षेत्र में रजिस्ट्री नहीं
टीएल की बैठक में सिंहस्थ क्षेत्र में हुए अतिक्रमण और अवैध निर्माणों पर भी कलेक्टर ने बात की। उन्होंने स्पस्ट कहा कि सिंहस्थ जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाई जाए तथा शिप्रा नदी के 200 मीटर क्षेत्र में हो रहे नये निर्माणों को जल्द से जल्द चिह्नित किया जाए। उल्लेखनीय है कि अभी त्रिवेणी से लेकर सांवराखेड़ी ब्रिज तक कई होटलों के निर्माण पीछे के हिस्से में कराए गए हैं और यह निर्माण शिप्रा नदी के किनारे ग्रीन बेल्ट के 200 मीटर के दायरे में किए गए हैं। ऐसे में अब इस तरह के अवैध निर्माणों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
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