- अगले चुनाव विधानसभा में सभी सीटें जीतने की प्लानिंग
- किसी का नहीं कटेगा टिकट
भोपाल। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते भाजपा में मंथन का दौर शुरू हो गया है। भाजपा ने फिलहाल कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों को अगले चुनाव में जीतने की रणनीति पर काम शुरू किया है। जिसमें भोपाल की मध्य, उत्तर और दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट भी शामिल हैं। इनमें से दो सीट मध्य और दक्षिण-पश्चिम पिछले चुनाव में कांगे्रस ने भाजपा से छीनी थीं। यदि संगठन ने क्लीन स्विप करने की रणनीति से टिकट बांटें तो भोपाल में नरेला को छोड़कर अन्य विधायकों के क्षेत्र बदले जा सकते हैं।
भोपाल में विधानसभा की 6 सीटें हैं। इनमें से कांग्रेस के पास शहरी क्षेत्र की 5 में से 3 सीट हैं। जबकि भाजपा के बाद ग्रामीण क्षेत्र की बैरसिया विधानसभा सीट को मिलाकर 3 सीट हैं। 2013 के चुनाव में भाजपा का उत्तर को छोड़कर सभी 5 सीटों पर कब्जा था। 2018 के चुनाव में प्रत्याशी चयन में चूक की वजह से भाजपा मध्य और दक्षिण-पश्चिम सीट हार गई थी। अब भाजपा ने कांग्रेस के कब्जे वाली तीनों सीटों को जीतने की रणनीति पर काम शुरू किया है। जिसके तहत मौजूदा विधायकों के क्षेत्र भी बदले जा सकते हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि यदि विधानसभा चुनाव तक भोपाल जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी का प्रदेश नेतृत्व से तालमेल अच्छा रहता है तो उन्हें विधानसभा टिकट मिलना तय है। बैरसिया में भी भाजपा चेहरा बदल सकती है।
- मध्य विधानसभा: यहां से आरिफ मसूद कांग्रेस विधायक हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा भाजपा नेताओं की विधानसभा चुनाव लडऩे की नजर है। इनमें पूर्व विधयाक धु्रव नारायण सिंह, सुरेन्द्र नाथ सिंह, प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी, जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी, पूर्व महापौर आलोक शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा भी विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छुक हैं। टिकट वितरण के समय विवाद की स्थिति बनती है तो गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर को मध्य से उतारा जा सकता है।
- हुजूर: यहां से रामेश्वर शर्मा दूसरी बार विधायक हैं। शिवराज मंत्रिमंडल में भोपाल से मंत्री पद के प्रबल दावेदार भी हैं। शर्मा की छवि कट्टर हिंदुत्व की है। पार्टी शर्मा की छवि को अगले चुनाव में भुना सकती है। हुजुर भाजपा की सीट मानी जाती है। ऐसे में शर्मा को उत्तर से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इससे पहले भी शर्मा 2003 में उत्तर से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि भितरघात की वजह से हारे। शर्मा को दक्षिण-पश्चिम से भी उतारा जा सकता है। जबकि हुजूर से भगवादास सबनीनी, रविन्द्र यति या मप्र भाजपा के किसी पदाधिकारी को उतारा जा सकता है।
- उत्तर: यहां से आरिफ अकील विधायक हैं। यह कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां से भाजपा मुस्लिम चेहरा उतारती है, लेकिन सफल नहीं हो पाती है। यहां से आलोक शर्मा या रामेश्वर शर्मा को फिर उतारा जा सकता है।
- गोविंदपुरा: यहां से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर 10 बार विधायक रहे। यहां से उनकी बहू कृष्णा गौर विधायक हैं। इस बार कृष्णा की सीट बदली जा सकती है। यहां से पूर्व महापौर आलोक शर्मा, सुमित पचौरी के अलावा सिंधिया समर्थक गिरीश शर्मा को मौका मिल सकता है।
- दक्षिण-पश्चिम: यहां से कांग्रेस के पीसी शर्मा विधायक हैं। पिछला चुनाव भाजपा के उमाशंकर गुप्ता हारे थे। क्षेत्र की जनता इस बार भी गुप्ता से नाराज है। इस सीट से रामेश्वर शर्मा, सुमित पचौरी, किशन सूर्यवंशी, जगदीश यादव या अन्य किसी नेता को मौका मिल सकता है।