इंदौर। रिश्वतखोरी के एक केस में पुलिस विभाग के एएसआई और आरक्षक को दस साल पहले सजा सुनाई गई थी। इस फैसले के खिलाफ इनकी ओर से हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील दायर की गई, जिस पर अब फैसला आया है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए इनकी अपील निरस्त कर दी। अपील लंबित रहने के दौरान एएसआई की मौत हो गई। हाईकोर्ट ने आरक्षक को सजा भुगतने के लिए दो सप्ताह में ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं। अभियोजन कहानी के मुताबिक 13 अक्टूबर 2009 को जयपालसिंह ने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि आरोपी एएसआई ओमप्रकाश मिश्रा ने उसके भतीजे मोतीसिंह को किसी मामले में थाने में बैठा दिया और उसे छोडऩे के एवज में दस हजार रुपए मांग रहा है। बाद में 8 हजार में सौदा हुआ और उसने डेढ़ हजार रुपए दे भी दिए। शेष राशि साढ़े छह हजार देना थी। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।
आरोपी एएसआई ने फरियादी को एक पेट्रोल पंप पर बुलवाया। वहां से उसे थाने लेकर आया। वहां फरियादी से रिश्वत की राशि लेकर गिनी और आरोपी आरक्षक नवलसिंह मीणा को दे दी। इसी बीच जैसे ही आरोपी एएसआई ने ट्रैप पार्टी को देखा वह भागने लगा। रोकने की कोशिश में सर्विस रिवाल्वर निकालकर धमकाया और बाइक पर बैठकर वहां से चला गया। लोकायुक्त पुलिस ने एएसआई मिश्रा और आरक्षक नवलकिशोर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर चालान कोर्ट में पेश किया। ट्रायल कोर्ट ने इन दोनों आरोपियों को 20 मार्च 2014 को दोषी पाते हुए दो-दो वर्ष के कारावास और पांच-पांच हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ उसी साल में दोनों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। अपील लंबित रहने के दौरान 12 अप्रैल 2021 को एएसआई मिश्रा की मौत हो गई। उसके परिजनों की ओर से अपील जारी रखी गई। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने इन अपीलों को खारिज कर ट्रायल कोर्ट के निर्णय को सही ठहराते हुए उक्त निर्देश दिए।
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