टोरंटो। कनाडा में आम चुनावों के पूर्ण नतीजे आने से पहले ही कंजरवेटिव पार्टी के नेता एरिन ओ’टूले ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए हार को स्वीकार किया और लिबरल पार्टी के नेता व वर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को जीत की बधाई दी।
बता दें, कनाडा में समयसीमा से दो साल पहले हुए आम चुनावों के नतीजे आना शुरू हो गए हैं। इसमें लिबरल पार्टी 157 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं कंजरवेटिव पार्टी 122 सीटों पर आगे है। ऐसे में लिबरल पार्टी चुनावों में सबसे ज्यादा सीट हासिल करने में कामियाब होते दिख रही है, जिससे साफ है कि जस्टिन ट्रूडो एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे।
सबसे बड़ी पार्टी, लेकिन बहुमत से दूर
भले ही इन चुनावों में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी सबसे ज्यादा सीट हासिल करने में कामियाब होते दिख रही हो। फिर भी वह बहुमत से काफी पीछे रह गई। ऐसे मे संसद में कानूनों को पारित कराने व सत्ता में बैठने के लिए उन्हें विपक्षी दलों का सहारा लेना होगा। हालांकि, वह इतनी सीट जरूर हासिल कर लेंगे कि उन्हें पद से हटाने का खतरा नहीं रहेगा।
49 भारतीय उम्मीदवार भी रेस में
कनाडा में इस बार भारतीय मूल के 49 उम्मीदवार चुनावी दौड़ में शामिल हैं। 2019 में हुए पिछले चुनाव में यह संख्या करीब 50 थी। तब 20 भारतवंशी संसद पहुंचे थे। इनमें 18 सिख नेता शामिल थे। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी 36 सदस्यीय कैबिनेट में चार भारतवंशी सांसदों को मंत्री के तौर पर जगह दी थी। इनमें तीन सिख और एक हिंदू नेता भी शामिल थीं। ऐसे में भारतीय मुद्दे भी इन चुनावी परिणामों पर खासा असर रखते हैं।
25 प्रतिशत हैं भारतीय
कनाडा में सबसे अधिक भारतीय ही हैं। आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा की कुल जनसंख्या के करीब 25 प्रतिशत भारतीय वहां बसे हैं। 2019 में जस्टिप ट्रूडो ने 3.4 लाख लोगों को स्थायी निवासी का दर्जा दिया था। ऐसे में जस्टिन ट्रूडो को सबसे ज्यादा लाभ भारतीय समुदाय से ही होने की संभावना है।
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