नई दिल्ली। पंजाब (Punjab) में कांग्रेस (Congress) की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस (Punjab Lok Congress) का भाजपा (BJP) में विलय कर लेते हैं, तो कांग्रेस के लिए अपने विधायकों और सांसदों को एकजुट रखना आसान नहीं होगा। वहीं, प्रदेश संगठन भी कमजोर होगा।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बावजूद कांग्रेस 13 में से आठ सीट जीतने में कामयाब रही थी। केरल के बाद पार्टी के पंजाब और तमिलनाडु से सबसे ज्यादा आठ-आठ लोकसभा सांसद हैं। केरल से पार्टी के 15 लोकसभा सांसद हैं। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर के भाजपा में जाने के बाद कई सांसद भी पाला बदल सकते हैं।
कई विधायक भी करीबी
लोकसभा सांसद परनीत कौर कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं। इसके अलावा कई अन्य सांसद भी कैप्टन के भरोसेमंद माने जाते हैं। कई विधायकों से भी उनके अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में कैप्टन अपनी पार्टी का भाजपा में विलय करते हैं, तो कुछ लोकसभा सांसद और विधायक हाथ छोड़ सकते हैं। ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में कांग्रेस की चुनौतियां और बढ़ जाएंगी।
कई साथ छोड़ चुके
कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के भाजपा में विलय से पहले पार्टी के कई नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी शामिल हैं। जाखड़ के कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से भी अच्छे रिश्ते थे। पार्टी के एक नेता ने कहा, कैप्टन के जरिए भाजपा की नजर कांग्रेस के सांसद, विधायकों और वोटबैंक पर है।
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