भोपाल। मिशन 2023 की तैयारी में जुटी कांग्रेस संगठन से उन नेताओं को बाहर करेगी जो केवल प्रतिष्ठा के लिए पद लेकर पार्टी में बने हुए हैं। यानी अब पार्टी में उन्हीं नेताओं को जगह दी जाएगी जो सक्रिय हैं। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जिलों के प्रभारियों को निष्क्रिय नेताओं की रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया था। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की रणनीति पर जिला प्रभारियों ने निष्क्रिय और विवादित नेताओं और जिलाध्यक्षों की सूची तैयार कर ली है। इस सूची में करीब आधा दर्जन उन जिलाध्यक्षों का नाम है जिनके खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं। बताया जाता है कि जल्द ही इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए इनकी जगह नई नियुक्ति की जाएगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस में लेटरपैड की राजनीति करने वाले नेताओं की भरमार है। ऐसे नेताओं को संगठन से बाहर करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। इनमें कई जिलाध्यक्ष भी हैं जो विवादों में हैं। इस कारण जिलों में संगठन कमजोर पड़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अब जिलाध्यक्षों की सर्जरी करने के मूड में दिखाई दे रहे हंै। वैसे दोनों दल लगातार अपने संगठनों को मजबूत करने में जुटे हुए है। भाजपा जहां कई जिलाध्यक्षों को बदल चुकी है तो अब कांग्रेस भी सिंधिया को घेरने के साथ संगठन को मजबूत करने कई जिलाध्यक्षों को बदलने की तैयारी कर रही है। लेकिन संगठन को मजबूत करना कांग्रेस के लिए इतना आसान नहीं होगा।
आधा दर्जन जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधानसभा चुनाव से पहले आधा दर्जन से ज्यादा जिलाध्यक्षों को बदलने का निर्णय ले सकती है। इसकी वजह जिलाध्यक्षों के खिलाफ मिल रहीं लगातार शिकायतें बताई जा रही हैं। संभवत: यह निर्णय इसी महीने के अंत तक लिया जा सकता है। जिन जिलों में संगठन में बदलाव किया जाना है, उनमें से ज्यादातर जिलाध्यक्ष इसी साल नियुक्त किए गए थे। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में इसी साल जनवरी में बने जिला अध्यक्षों में से फिर से कुछको बदलें जाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। जिन्हें हटाए जाने की अटकले लगाई जा रही है, उनका जिला कांग्रेस के कुछ नेता लगातार विरोध कर रहे हैं। इन नेताओं ने जिला अध्यक्ष को लेकर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में शिकायतें भी की है। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस ने विदिशा, अलीराजपुर और डिंडौरी के जिला अध्यक्षों को हटाया था। कांग्रेस द्वारा जनवरी जिलाध्यक्षों नियुक्ति करने के बाद से ही लगातार सवाल उठ रहे थे। साथ ही शिकायतें भी मिल रहीं थी। हटाए जाने की वजह यह भी बताई जा रही है कि पार्टी कुछ जिलाध्यक्षों को विधानसभा चुनाव लड़ाने जा रही है। इन्हीं शिकायतों के आधार पर तीन जिलों के अध्यक्षों को पिछले महीने हटाया गया था। अब इसी तरह की अन्य जिलों से भी शिकायतें मिल रही है। इसमें बुंदेलखंड के तीन जिले हैं, वहीं ग्वालियर-चंबल में संभाग के भी तीन जिले हैं। विंध्य का एक जिला की और मालवा और मध्य क्षेत्र के भी इसमें कुछ जिले शामिल हैं। हालांकि शिकायतें तो लगभग हर जिले के जिला अध्यक्ष को लेकर प्रदेश कांग्रेस को मिली है, लेकिन कुछ जिलों के नेताओं का जिला अध्यक्ष को बदलने का ज्यादा दबाव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पर है। इंदौर में नए जिला अध्यक्ष का ऐलान अब तक नहीं हो सका है। यहां पर भी जल्द अध्यक्ष बनाए जाना है। इंदौर में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी की यह वजह बताई जा रही है कि नियुक्ति के बाद गुटबाजी सड़क पर आ सकती है।