नई दिल्ली। महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिराकर शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने पर कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को निशाने पर लिया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने धनबल, सत्ताबल और बाहुबल के दम पर एक और राज्य को अनैतिक ढंग से अपने कब्जे में कर लिया है। कांग्रेस के मुताबिक, महाराष्ट्र में जो हुआ वो भारत जैसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है और साफ है कि मोदी-शाह के नेतृत्व में भाजपा किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करना चाहती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक ढ़ंग से चुनी हुई सरकारों को जिस तरह अस्थिर कर रही है उसकी हम कड़ी भर्त्सना एवं निंदा करते हैं। भाजपा चाहती है कि सत्ता उसके पास रहे या फिर कुर्सी की डोर उसके हाथों में हो। 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद से भाजपा का ध्यान जनहित के कामों के बजाय राज्यों में सत्ता पर कब्जा करने और चुनी हुई सरकारों को गिराने पर रहा है। खरीद-फरोख्त, राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्षों की शक्तियों का गलत इस्तेमाल से लेकर ईडी-सीबीआइ जैसी एजेंसियों का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है।
जयराम रमेश ने हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए पहले ध्रुवीकरण और हिंसा को बढ़ावा देते ही और फिर पैसा व सत्ता का दुरुपयोग कर दूसरे दलों की सरकार गिराती है। 2016 में उत्तराखंड में भाजपा ने कुछ इसी तरह कांग्रेस की सरकार गिराई थी। इसी वर्ष अरुणाचल में भी कांग्रेस के 44 में से 43 विधायक मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व में दलबदल करते हुए बीजेपी समर्थित फ्रंट पीपल्स पार्टी आफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हो गए।
इसके अलावा मणिपुर, बिहार, कर्नाटक में भी भाजपा ने यह खेल किया। मार्च 2020 में जब देश में कोरोना की तबाही आने वाली थी तब मध्य प्रदेश में राजनीतिक षडयंत्र कर जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को गिराया गया। वर्ष 2021 में पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार को गिरा दिया।
उन्होंने कहा कि ऐसी दो और घटनाएं हैं जहां भाजपा ने धनबल के दम पर अनैतिक ढंग से सरकार बनाने की कोशिश की। पहला महाराष्ट्र जहां नवंबर 2019 में आधी रात को एनसीपी के 10 विधायकों के साथ देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ली थी, लेकिन फिर उन्हें सत्ता से हटना पड़ा। दूसरा राजस्थान, जहां 2020 में कांग्रेस के 19 विधायकों को बरगलाने की भाजपा ने कोशिश की, पर वहां उसकी दाल नहीं गली।
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