इंदौर। कांग्रेसियों (Congressmen ) को नया काम (new work) मिल गया है। निगम (corporation) द्वारा अपने रिमूवल कर्मचारियों को सेना जैसी वर्दी (uniform) पहनाने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि पहले ही पीली गैंग बदनाम (yellow gang infamous) है और यह जब लोगों के बीच जाकर उनके सामान फेंकेंगी, वसूली करेगी, मारपीट करेगी तो सेना (army) का अपमान होगा। इसलिए इस वर्दी को बदलना चाहिए। कांग्रेस ने 7 दिन में वर्दी बदलने की मांग की है, नहीं तो राजबाड़ा पर जनमत संग्रह अभियान चलाया जाएगा।
शहर में रिमूवल गैंग का नाम पहले से ही खराब है। गैंग पर समय-समय पर अवैध वसूली, सामान फेंकने और दुकानदारों से दुव्यर्वहार करने के आरोप लगते रहे हैं। इन्हें सेना से मिलीजुली वर्दी पहनाने को लेकर अब शहर में एक नई बहस छिड़ गई है। कल सोशल मीडिया पर गैंग को वर्दी पहनाने के मामले में कई प्रकार की प्रतिक्रिया सामने आई और शहर में एक नई बहस को जन्म दे दिया गया। कांग्रेस ने इस मामले में कड़ी आपत्ति ली और निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कमिश्नर शिवम वर्मा से सवाल किया कि सेना की वर्दी पहनाने की जरूरत ही क्या पड़ी? उन्होंने महापौर पुष्यमित्र भार्गव से भी कहा कि यह तो राजनीतिक अपरिपक्वता की निशानी है, जो इस तरफ का फैसला लेना पड़ा। चौकसे ने कहा कि इसके पहले भी सराफा चौपाटी को हटाने और गांधी हॉल को किराये पर देने के विरोध के बाद यह फैसला वापस लेना पड़ा है, वहीं अभी तक सोलर पैनल वाले मामले में टेंडर नहीं हुए हंै। जो सेना देश की सुरक्षा करती है, उसकी वर्दी पहने गैंग के कर्मचारी जब लोगों के बीच जाएंगे और उनसे मारपीट कर सामान फेंकेंगे तो गलत मैसेज जाएगा। कांग्रेस इसके विरोध में जनमत संग्रह भी कराएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि 7 दिन में अगर यह फैसला वापस नहीं लिया तो राजबाड़ा पर लोगों से जनमत संग्रह कराया जाएगा।
बिल घोटाले के आरोपी को क्यों दी जवाबदारी
फर्जी बिल घोटाले के मुख्य सरगना अभय राठौर को इसी विभाग की जवाबदारी देने पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाया और कहा कि ऐसी क्या स्थिति आन पड़ी थी कि नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने यहां आते से ही अभय राठौर को जवाबदारी दे दी और बाद में यह फर्जी बिल घोटाला खुल गया। निगम में ऐसे भ्रष्ट अफसरों को बड़े विभागों में नहीं भेजना चाहिए।
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