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    घर से बाहर नहीं निकले कांग्रेसी, कागजों पर ही नोटा की प्लानिंग

  • May 14, 2024

    • – शहर अध्यक्ष अपने गृह विधानसभा क्षेत्र के कई पोलिंग बूथ पर पोलिंग एजेंट नहीं बैठा पाए
    • – संगठन की निष्क्रियता के कारण ग्रामीण क्षेत्र में मतदाताओं तक नोटा पहुंचा ही नहीं पाई कांग्रेस

    इंदौर। नोटा को लेकर बड़ी-बड़ी बात करने वाले कांग्रेसी मतदान के दिन मैदान संभालने के बजाय घर में बैठ गए। पार्टी के दिग्गज नेता कागजों पर ही नोटा में ज्यादा से ज्यादा वोटिंग की प्लानिंग करते रह गए और मैदान में कहीं नजर नहीं आए। मतदान समाप्ति के बाद पार्टी नेता यह दावा करने में भी पीछे नहीं रहे कि इंदौर में नोटा एक नया रिकॉर्ड बनाएगा। पार्टी के ज्यादातर नेता पोलिंग बूथ पर निर्दलीय उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट के रूप में बैठे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भोजन के पैकेट बंटवाकर ही खुद की वाहवाही में लग रहे। पार्टी कार्यकर्ता तो इंदौर के मामले में अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की भूमिका पर भी उंगली उठाने लगे हैं। स्थानीय नेताओं ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया।

    शहर के किसी भी बूथ पर कांग्रेस की टेबल नहीं लगेगी यह तो कांग्रेस के नेता पहले ही तय कर चुके थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा उपलब्ध करवाए गए आर्थिक संसाधनों के चलते निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से हर बूथ पर कांग्रेस के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी सुनिश्चित की गई थी। इसमें भी कांग्रेस को 80 प्रतिशत सफलता ही मिली। इंदौर एक, इंदौर चार, देपालपुर और सांवेर के कई पोलिंग बूथ पर कांग्रेस के पोलिंग एजेंट नहीं बैठ पाए। इंदौर दो के भी कुछ पोलिंग बूथ पर पोलिंग एजेंट नहीं पहुंचे। बूथ पर पोलिंग एजेंट की मौजूदगी को ही अपनी बड़ी सफलता मानकर कांग्रेस के नेता मतदान के दिन सुबह से शाम तक कहीं नजर नहीं आए। अपने गृहवार्ड बिजलपुर के मतदान केंद्र पर मतदान के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी कुछ मतदान केंद्रों पर पहुंचे, लेकिन इन सभी स्थानों पर कांग्रेस के नेता या कार्यकर्ता नदारद मिले। बाद में वे भी कहीं नजर नहीं आए। पार्टी के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्र प्रभारी भी औपचारिकता निभाने में लगे रहे और कुछ यही स्थिति संबंधित विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेताओं की रही। इनमें वह नेता भी शामिल थे, जो चुनावी तैयारी के दौरान सारे सूत्र अपने हाथ में रखने को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं से भी भिड़ लिए थे। कांग्रेस के ऐसे नेताओं की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक रही, जो नोटा में ज्यादा से ज्यादा मतदान की अपील के साथ मतदान केंद्र के इर्द-गिर्द मौजूद रहे।


    बाकलीवाल, जोशी, चौकसे और बजाज लगे रहे पूरी ताकत से
    शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष विनय बाकलीवाल और कार्यकारी अध्यक्ष अमन बजाज ने इंदौर पांच में पूरी ताकत से मोर्चा संभाला। इसी का नतीजा था कि यहां के हर बूथ पर कांग्रेस के पोलिंग एजेंट नजर आए। यहां के प्रभारी सत्यनारायण पटेल इन दिनों उत्तरप्रदेश के चुनाव में सहप्रभारी की भूमिका में हैं। इंदौर तीन में पिंटू जोशी अपनी टीम के साथ लगे रहे। उन्हें अश्विन जोशी का भी सहयोग मिला और यहां भी हर बूथ पर कांग्रेस की असरकारक उपस्थिति रहीं। इंदौर दो में चिंटू चौकसे राजू भदौरिया को साथ लेकर किला लड़ाते नजर आए। यहां कुछ जगह बूथ कैप्चरिंग की आशंका के चलते चौकसे ने मतदान के अंतिम दौर में पूरी टीम के साथ मोर्चा संभाले रखा।

    आर्थिक संसाधन एक दिन पहले और भोजन जरूर समय पर पहुंचा दिया
    पोलिंग बूथ पर बैठे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को 2000 रुपए प्रति बूथ के माध्यम से एक दिन पहले ही उपलब्ध करवा दिए गए थे। मतदान के दौरान बूथ पर बैठे कार्यकर्ता और उनके रिलीवर के बीच इस राशि का वितरण समान रूप से हो गया। जिन नेताओं को इन्हें भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंप गई थी उन्होंने अपना काम बखूबी पूरा किया।

    नेताओं के निशाने पर शहर और जिला अध्यक्ष
    कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम द्वारा नामांकन वापस लेने और भाजपा में शामिल होने के बाद शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्ढा तो वैसे ही पार्टी के बड़े नेताओं के निशाने पर हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद शहर अध्यक्ष के मामले में कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इंदौर चार, जो कि शहर अध्यक्ष का गृह विधानसभा क्षेत्र है, के कई पोलिंग बूथ पर कांग्रेस के पोलिंग एजेंट बैठ ही नहीं पाए। चड्ढा पर यह भी आरोप है कि वह पार्टी के दूसरे नेताओं के काम का श्रेय खुद के खाते में दर्ज करवाने में पीछे नहीं रहते हैं। जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव भी पूरे चुनाव में असरकारक भूमिका नहीं निभा पाए। मतदान के दिन देपालपुर और सांवेर के साथ ही राऊ विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र में इसी के चलते नोटा में ज्यादा से ज्यादा मतदान का कांग्रेसी फार्मूला फेल-सा ही रहा। प्रदेश अध्यक्ष पटवारी के वरदहस्त के चलते अभी तक अपना पद बचाने में सफल रहे यादव अब पार्टी के निशाने पर आ सकते हैं।

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