इन्दौर। कांग्रेस के कद्दावर और समर्पित नेता रहे चन्द्रप्रभाष शेखर आज पंचतत्व में विलीन हो गए। इसके पहले उनके घर खातीवाला से निकली अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में कांग्रेस और भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों के लोगों के अलावा गणमान्य नागरिक भी मौजूद रहे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह भी शेखर के अंतिम संस्कार में पहुंचे और उन्हें सच्चा कांग्रेसी बताया।
कल ही विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से कराने की मांग की थी, जिस पर उन्हें आज गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में शेखर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी रहे। हालांकि इसी दौरान उन्हें अनुशासन कमेटी की जवाबदारी भी दे दी थी। पिछले कुछ दिनों से वे अस्वस्थ थे और इंदौर में ही उनका इलाज चल रहा था। आज सुबह खातीवाला टैंक स्थित निवास स्थान से उनकी अंतिम यात्रा निकली, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, कृपाशंकर शुक्ला, भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन, बटुकशंकर जोशी, पांचीलाल मेढ़ा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुुरजीतसिंह चड्ढा, अमन बजाज, मुकेश यादव, जौहर मानपुरवाला आदि मौजूद रहे।
शेखर के बारे में उनके साथ राजनीति करने वाले राजेश शर्मा ने बताया कि शेखर ने आजीवन विनम्रता और सामंजस्यता का व्यवहार किया। वे संगठन में भी उतने ही सरल और सहज रहे, जितने अपनी निजी जिंदगी में। प्रदेश सरकार में वे चार बार मंत्री रहे। पहली बार में उन्होंने भाजपा के श्रीवल्लभ शर्मा को हराया था। इसी चुनाव में समाजवादी पार्टी के नेता कल्याण जैन भी चुनाव लड़े थे, जो उनसे जीत नहीं पाए। राजनीति में सब उन्हें शेखर साब कहकर ही बुलाते थे। पहले चुनाव के बाद ही उन्हें प्रकाशचन्द्र सेठी ने अपने मंत्रिमंडल में लिया और मंत्री बनाया। इसके बाद वे श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुनसिंह और मोतीलाल वोरा की सरकार में भी मंत्री रहे।
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