मुंबई। महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा चुनाव के बाद से बहुत कुछ बदल गया है। राज्य में पहले शिवसेना के दो फाड़ हुए, बीते हफ्ते एनसीपी की भी यही हालत हुई। कहते हैं सियासत में सब कुछ फायदे के लिए किया जाता है, अब कुछ ऐसा ही कांग्रेस ने प्लान किया है। कांग्रेस अपने सहयोगियों को हुए नुकसान से खुद का फायदा करने की फिराक में है। कांग्रेस पार्टी ने अपनी सहयोगियों को हुए नुकसान से फायदा उठाने के लिए खुद को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है।
इस दौरान कांग्रेस इस बात का भी खास ख्याल रखेगी कि उद्धव गुट और शरद पवार गुट उससे नाराज न हों। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले MVA के बीच होने वाली सीट शेयरिंग मीटिंग्स में कांग्रेस पार्टी कड़ी सौदेबाजी करने की तैयारी कर रही है। हाल ही में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं की बीच हुई बैठक में इसको लेकर खासतौर पर बातचीत की खबर है।
कांग्रेस के लिए खोयी जमीन पाने का अवसर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस मीटिंग में एनसीपी और शिवसेना में हुए फाड़ के बाद पैदा हुई स्थिति पर गहन मंथन हुआ। मंथन के बाद सभी नेताओं ने यह माना कि वर्तमान स्थिति कांग्रेस के लिए राज्य में अपनी खोयी जमीन पाने का गोल्डन अवसर है। महाराष्ट्र कभी कांग्रेस पार्टी का गढ़ हुआ करता था।
मीटिंग में से एक संकेत और सामने आया कि कांग्रेस पार्टी अब विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर अपनी दावेदारी से पीछे नहीं हटेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस जल्द ही इसके लिए एनसीपी और शिवसेना यूबीटी से बातचीत करेगी।
इलेक्शन मोड में आ जाएं नेता- कांग्रेस
सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि राहुल गांधी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं से अपने मतभेद भुलाकर एकजुट होने के लिए कहा है। उन्होंने सभी से लोकसभा चुनाव के लिए अभी इलेक्शन मोड में आने की भी बात कही। उन्होंने क्लियर मैसेज दिया है कि सभी नेता ग्राउंड पर मेहनत शुरू कर दें और MVA के बीच सीट शेयरिंग का इंतजार न करें।
कांग्रेस की इस मीटिंग के दौरान पार्टी महाराष्ट्र कांग्रेस में छिड़ा घमासान भी सामने आ गया। MPCC अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि दिल्ली में शिकायत के लिए नेताओं द्वारा किए जाने वाले दौरे पार्टी लीडरशिप का काम प्रभावित करते हैं। इस पर मल्लिकार्जुन ने पटोले से कहा कि वो नेताओं को लूप लिए बिना उनके गढ़ में न जाएं। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व ने नाना पटोले को यह स्पष्ट किया कि वे राज्य में कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उन्हें लोकल नेताओं को इसकी सूचना देनी चाहिए।
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