नई दिल्ली (New Delhi) । लोकसभा सचिवालय ने बीते दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) पर एक्शन लिया! सचिवालय ने वायनाड (Wayanad) से सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सदस्यता को रद्द (cancel membership) कर दिया! इसके बाद कई सवाल खड़े हुए। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अब तक ऐसे कितने मामले सामने आए हैं!
देश के लोकतांत्रिक इतिहास में अब तक विभिन्न कारणों से 200 सांसदों-विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा चुका है! इन कारणों में दल-बदल, भ्रष्टाचार, रेप, भड़काऊ भाषण, आय के घोषित स्रोतों से अधिक संपत्ति, चुनाव नियमों का उल्लंघन, लाभ के पद पर होना, पुलिस पर हमला, फर्जी जन्मतिथि, फर्जी मार्कशीट, दंगा फसाद में शामिल होने, हत्या या जानलेवा हमला करने के आरोपी, तस्करी और आर्म्स एक्ट के अपराध भी शामिल हैं।
वहीं राहुल गांधी की लोकसभा मेंबरशिप जाने को भाजपा ओबीसी के अपमान से जोड़ना चाहती है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के पास विक्टिम कार्ड खेलने तक का मौका नहीं होगा। बीजेपी ने राहुल गांधी की सजा को ‘ओबीसी अपमान’ के नतीजे के रूप में चित्रित करने की योजना बनाई है।
राहुल गांधी के अयोग्य ठहराए जाने के तुरंत बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रह्लाद जोशी ने संसद में बीजेपी के ओबीसी सांसदों की बैठक की। बैठक में फैसला किया गया कि सभी ओबीसी सांसद यह आरोप लगाएंगे कि राहुल गांधी ने ‘ओबीसी को अपमानित’ किया था। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर ‘ओबीसी विरोधी’ होने का आरोप लगाते हुए कई ट्वीट किए।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया, “राहुल गांधी पूरे ओबीसी समुदाय को चोर कहते हैं। उन्हें अदालत में आलोचना का सामना करना पड़ता है, लेकिन माफी मांगने से इनकार करते हैं, जिससे पता चलता है कि ओबीसी के लिए उनकी नफरत कितनी गहरी है। भारत के लोगों ने उन्हें 2019 में माफ नहीं किया। 2024 में सजा मिलेगी।
वहीं, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने दावा किया, “सुबह से ही मुझे ओबीसी समुदाय से फोन आ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या एक राष्ट्रीय पार्टी का नेता एक उपनाम के कारण पिछड़े समुदाय को अपमानित कर सकता है।
यूपी और बिहार में विपक्ष के प्रयास होंगे बेअसर!
आगामी चुनावों के मद्देनजर पार्टी की योजना राहुल गांधी की टिप्पणी के इर्द-गिर्द प्रचार करने और ओबीसी के बीच एक समर्थक आधार बनाने की है। यह योजना बिहार और उत्तर प्रदेश में ‘सामाजिक न्याय’ पार्टियों के प्रयास को बेअसर करने के लिए भी हो सकती है, जो ओबीसी को दिए जाने वाले आरक्षण के प्रतिशत का मूल्यांकन करने के लिए जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं।
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