भोपाल। बीस दिसंबर से होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस महंगाई, खाद की कमी और कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाएगी। इसके लिए सदस्यों ने ध्यानाकर्षण और शून्यकाल की सूचनाएं दी हैं। वहीं, भ्रष्टाचार और जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम से जुड़े कई प्रश्न भी पूछे गए हैं। रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के श्यामला हिल्स स्थित आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है, जिसे सदस्यों को अलग-अलग मुद्दे उठाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। भाजपा विधायक दल की बैठक भी रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित की गई है, जिसमें सत्र को लेकर कार्ययोजना बनाई जाएगी।
कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक डा.गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि सरकार न तो किसानों को खाद दे पा रही है और न ही बिजली। गांवों में अद्योषित बिजली की कटौती हो रही है। खाद लेने के लिए किसान दुकानों के बाहर लाइन लगाकर बैठे हुए हैं। पुलिस लाठीचार्ज कर रही है। जबकि, सरकार दावा कर रही है कि पर्याप्त मात्रा में खाद है। इसका जवाब सदन में लिया जाएगा। वहीं, कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर है। आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट सबके सामने है। भाजपा सरकार प्रति वर्ष एक लाख रोजगार देने का दावा कर रही है पर प्रदेश में तीस लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार हैं। पढऩे-लिखने के बाद प्रदेश में नौजवानों को काम नहीं मिल रहा है। जनजातीय गौरव दिवस के नाम पर आदिवासियों को गुमराह करने का काम किया है। इन सभी मुद्दों को विधानसभा में उठाया जाएगा।
रविवार को विधायक दल की बैठक में कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। वहीं, भाजपा विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को होगी। इसमें सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले विधेयकों पर सरकार का पक्ष सदस्यों द्वारा दमदारी के साथ रखने की कार्ययोजना बनाई जाएगी। साथ ही विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर तथ्यों के साथ आक्रामक जवाब दिया जाएगा।
रविवार को होगी सर्वदलीय बैठक
विधानसभा का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र शांतिपूर्ण तरीके से चले और सारगर्भित चर्चा हो, इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम रविवार को सर्वदलीय बैठक करेंगे। इसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के वरिष्ठ सदस्यों साथ चर्चा की जाएगी और इस बात पर सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा कि प्रश्नकाल बाधित न हो। प्रश्नकर्ता को प्रश्न पूछने का पूरा अवसर दिया जाए। दरअसल, पिछले कुछ सत्रों में यह देखा गया है कि प्रश्नकाल वाद-विवाद में ही निकल जाता है और प्रश्नकर्ता को मौका ही नहीं मिल पाता है। वैसे इस बार यह व्यवस्था की गई है कि प्रश्नकर्ता लिखित प्रश्न की जगह सीधे पूरक प्रश्न, वो भी अधिकतम दो करेंगे।
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