भोपाल। प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव में महज नौ माह का ही समय रह गया है, ऐसे में भाजपा के साथ कांग्रेस ने भी चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। यही वजह है कि क्षेत्रवार जमीनी हकीकत पता करने के लिए दोनों ही दलों द्वारा अब तक अपने स्तर पर अलग-अलग सर्वे कराए जा चुके हैं, लेकिन इससे हटकर अब कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायकों को ही यह जिम्मा सौंप दिया है। इसकी वजह है टिकट कटने पर पार्टी विधायक किसी तरह के आरोप न लगा सकें। यही वजह है कि प्रदेश संगठन ने अब अपने विधायकों से खुद ही सर्वे कराने को कहा है जिससे की उन्हें अपनी वास्तविकता का पता चल सके। अब तक इस तरह के समय -समय पर कमलनाथ द्वारा खुद ही सर्वे कराए जाते रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अपनी जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए सभी पहलुओं पर काम कर रही है। इसके तहत कांग्रेस पार्टी की कमजोर सीटों पर लगातार सर्वे करा रही है। कमलनाथ ने अपने विधायकों को खुद ही अपना आंकलन करने के लिए कहा है। इस सर्वे के जरिए पता लगाया जाएगा कि मौजूदा कांग्रेस विधायक चुनाव जीतने के लिए कितने फिट हैं। 2018 के मुकाबले उनकी स्थिति मजबूत हुई है या कमजोर। वे आगामी चुनाव में जीत दर्ज कर सकते हैं कि नहीं। इसके आधार पर समय रहते कांग्रेस विधायक क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाएंगे और सर्वे में सामने आने वाली कमजोरी को दूर करेंगे। इसके बाद भी अगर हालात नहीं सुधरते हैं तो फिर अंतिम विकल्प के रुप में प्रत्याशी बदला जाएगा।
पूर्व में भी कराए गए हैं सर्वे
कमलनाथ ने इससे पहले अप्रैल-मई 22 में एक सर्वे कराया था। इसमें विधायकों के कामकाज का मूल्यांकन किया गया था। क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर विधायक ने कितनी आवाज उठाई। जनता को कितना वक्त दिया। सोशल मीडिया पर कितने एक्टिव रहे। दूसरे सर्वे में विधायक की लोकप्रियता की जमीनी हकीकत देखी गई। यानी क्षेत्र की जनता उन्हें आगे भी अपना प्रतिनिधि बनाए रखना चाहती है या नहीं? यदि हां तो क्या वजह है और नहीं तो क्या कारण हैं। दूसरे सर्वे में पहले सर्वे के बाद विधायकों की स्थिति में बदलाव का आंकलन भी कराया गया था। कांग्रेस का एक और फाइनल सर्वे अप्रैल-मई में होने की उम्मीद है। कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में सर्वे एजेंसी आम लोगों से जानकारी जुटाती है कि विधायक ने जनता को कितना समय दिया। विधायक गांवों के दौरे पर जाते हैं या नहीं? जाते भी हैं तो क्या वे जनता से मिलते हैं? सर्वे में देखा जाता है कि क्षेत्र में नागरिकों के सुख-दुख में विधायक शामिल होते हैं या नहीं? पार्टी से भी विधायक की गतिविधियों की जानकारी ली जाती है। देखा जाता है कि विधायक बूथ कमेटी स्तर पर कार्यकर्ता से संपर्क में हैं या नहीं? इसके अलावा सोशल मीडिया पर विधायक की सक्रियता सर्वे में दर्ज की जाती है। उम्मीदवारी को लेकर भी प्रश्न होते हैं। इसी आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है।
जारी रहेगा नाथ का सर्वे
पार्टी के विधायकों द्वारा अपने स्तर पर सर्वे कराने के अलावा कमलनाथ द्वारा भी अपने स्तर पर सर्वे कराया जाएगा। सर्वे और संगठन स्तर पर रायशुमारी के बाद आगामी चुनाव में टिकट का फैसला किया जाएगा। हालांकि अभी तक यह तय नहीं है कि मौजूदा विधायकों में से किस-किस को टिकट दिए जाएंगे, लेकिन माना जा रहा है कि मौजूदा विधायकों के टिकट कटना मुश्किल है। यह बात अलग है कि विधायकों से कराए जा रहे सेल्फ अस्सिमेंट से टिकट वितरण की मुश्किल दूर हो जाएगी। बाद में टिकट कटने पर पार्टी को बहुत ज्यादा नाराजगी का सामना नहीं करना होगा। इस मामले में पूर्व मंत्री व विधायक जीतू पटवारी का कहना है कि यह 100 फीसदी सही है। वैसे भी हर जनप्रतिनिधि को क्षेत्र में अपनी स्थिति पता होती है। वह हर समय क्षेत्र में सक्रिय रहता है, वैसे भी चुनाव में विधायक की जो भी हकीकत होती है, वह सामने आ जाती है।
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