बेंगलुरू। कांग्रेस अध्यक्ष पद (congress president post) के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर (Shashi Tharoor) के बीच मुकाबला है। शशि थरूर कह रहे हैं कि खड़गे के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस (congress) का भला नहीं होगा। वहीं खड़गे के गृह प्रदेश के कांग्रेसी दिल से खड़गे की जीत चाहते हैं। कर्नाटक कांग्रेस (Karnataka Congress) के नेताओं की दलील है कि खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से वहां की कई परेशानियां हल हो जाएंगी। इसके मुताबिक पार्टी की गुटबाजी खत्म होने के साथ-साथ आने वाले विधानसभाओं चुनाव में भी उसे लाभ मिलने की उम्मीद है।
इस बात का मिल सकता है फायदा
खड़गे अगर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी को इसका फायदा कल्याण कर्नाटक इलाके के सात पिछड़े जिलों में होगा। कर्नाटक से 9 बार विधायक रह चुके खड़गे का, इस इलाके में खास प्रभाव है। असल में साल 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान खड़गे के प्रयास से ही यहां पर आर्टिकल 371जे लागू हुआ था। खड़गे उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे। इसके चलते इस इलाके को स्पेशल स्टेटस मिला है। इसके तहत कर्नाटक के गवर्नर हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं। इसमें गुलबर्गा, बीदर, रायचूर, कोप्पल, यादगीर और अविभाजित बेल्लारी शामिल हैं।
इतनी सीटों पर असर
गौरतलब है कि इन जिलों में कुल 39 विधानसभा सीटें आती हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। तब कांग्रेस ने 19 और भाजपा ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से दो और सीटें ले ली थीं। जेडी(एस) ने 2018 में चार सीटें जीती थीं। यह भी माना जा रहा है कि खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश में डीके शिवकुमार और सिद्दारमैया के बीच चल रही प्रतिद्वंद्विता पर भी लगाम लगेगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक मैसूर यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस विभाग के चेयरमैन प्रोफेसर मुजफ्फर असादी कहते हैं कि खड़गे ने कर्नाटक में राजनीतिक ताकत खो दी थी। लेकिन अगर वह अध्यक्ष चुने जाते हैं, वह फिर से शक्ति का केंद्र बन जाएंगे।
मिलेंगे कई फायदे
राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में खड़गे जहां कर्नाटक में कांग्रेस को एकजुट करने में सफल होंगे। वहीं दूसरी तरफ 2023 के विधानसभा चुनाव में वह पार्टी के लिए दलित वोट जुटाने में भी मददगार हो सकते हैं। गौरतलब है कि कर्नाटक में एससी वर्ग के अंदर कांग्रेस के प्रति एक किस्म की नाराजगी है। इस वर्ग का मानना है कि पार्टी ने उन्हें यहां मौका होने के बावजूद तीन बार मुख्यमंत्री नहीं बनाया। गौरतलब है कि कर्नाटक की कुल आबादी में दलितों की भागीदारी 23 फीसदी है। कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामालिंगा रेड्डी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से प्रदेश की कई समस्याएं सुलझ सकती हैं। वह प्रदेश स्तर की राजनीति से लेकर अंदरूनी मतभेदों को भी सुलझा सकते हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved