चंडीगढ़। हरियाणा (Haryana) में मतदान के बाद खुद को मजबूत मानती कांग्रेस (Congress) में मुख्यमंत्री पद (Chief Minister post) को लेकर भी किलेबंदी तेज (Fortification intensified) हो गई है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Former CM Bhupendra Singh Hooda) रविवार को अपने रोहतक स्थित आवास में सारा दिन लोगों से मिलते रहे और फोन पर जीत की संभावना वाले प्रत्याशियों से बातचीत की। उन्होंने एक-एक प्रत्याशी से रिपोर्ट ली। साथ ही सांसद दीपेंद्र हुड्डा (MP Deependra Hooda) भी युवा प्रत्याशियों के साथ हार-जीत के समीकरण बना रहे हैं। पूरा दिन रोहतक में समर्थकों के बीच बिताने के बाद भूपेंद्र हुड्डा शाम को दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
इनके अलावा, मतदान के तुरंत बाद सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा राजस्थान स्थित सालासर धाम पहुंचकर माथा टेका तो राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला केदारनाथ धाम पहुंच गए हैं। यह दोनों भी सीएम पद के दावेदार माने जा रहे हैं। सैलजा तो लगातार दावेदारी जता रही हैं।
सीएम पद को लेकर उठापटक के बीच, हिसार से कांग्रेस के सांसद जेपी ने कहा कि कांग्रेस में सिस्टम है, सीएम बनाने को लेकर विधायकों से अनुशंसा ली जाती है। उन्होंने कहा, इस समय प्रदेश में एक ही नेता है जो जननायक है और जनता का नेता है, उनका नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा। इसमें कोई दोराय नहीं है कि कांग्रेस हाईकमान उनको ही आगे बढ़ाएगा।
वहीं, कुमारी सैलजा ने दावा किया है कि हरियाणा में कांग्रेस की 60 से अधिक सीटें आ रही हैं। पिछले दस साल में भाजपा जो प्रदेश को पीछे ले गई, अब उससे विपरीत हो और लोगों की सरकार बने। हर वर्ग को लगे कि उसकी सरकार है।
गौरतलब है कि कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं कर रखा है। रणनीति के तहत बिना चेहरे के ही चुनाव लड़ा गया। हालांकि, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहले दो बार सीएम रह चुके हैं और तीसरी बार के लिए भी मजबूत दावेदार हैं। कुमारी सैलजा मतदान से पहले ही सोनिया गांधी से मुलाकात कर चुकी हैं। हुड्डा और सुरजेवाला भी जल्द ही हाईकमान के दरबार भी पहुंच सकते हैं।
कहीं हो न जाए खेला, इसलिए हुड्डा चल रहे विधायकों का दांव
2005 के चुनाव में चौधरी भजन लाल के नाम पर चुनाव लड़ा गया था और कांग्रेस की 67 सीटें आई थी। उस समय हाईकमान ने भजनलाल को छोड़कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाया। हाईकमान इस बार भी उसी तर्ज पर कोई फैसला न ले, इसलिए हुड्डा पहले से ही सतर्क हैं और हाईकमान के नेताओं को साधने में जुटे हैं। सूत्रों का दावा है कि अगर हाईकमान बदलाव को लेकर कोई फैसला लेता है तो हुड्डा विधायकों की अनुशंसा का पासा फेंक सकते हैं। 72 टिकटें हुड्डा के समर्थकों को मिली हैं, ऐसे में अगर 50 या 55 विधायक आते हैं तो इनमें से 40 विधायक हुड्डा को ही कुर्सी पर पसंद करेंगे।
हुड्डा : अभी तक फ्री हैंड रहे, पिता-पुत्र गए 70 हलकों में
पिछले पांच साल में हुड्डा अभी तक हाईकमान की ओर से फ्री हैंड रहे हैं। पहले हुड्डा अपने समर्थक चौधरी उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनाने में कामयाब रहे। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी उनके ही समर्थकों को टिकट मिले। कांग्रेस के चार सांसद उनके साथ हैं। अगर विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचार की बात करें तो पिता पुत्र हुड्डा ही प्रदेशभर में घूमते दिखे। हुड्डा ने पूरे हरियाणा में 75 जनसभाएं की और दीपेंद्र हुड्डा ने 85 से ज्यादा कार्यक्रम किए। दोनों ने 70 से अधिक विधानसभा क्षेत्र नापे। दीपेंद्र हुड्डा की पीठ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और खरगे भी थपथपा चुके हैं।
सैलजा : पहले नाराज रहीं, फिर केवल 10 से 15 सीटों पर ही जा पाईं
कुमारी सैलजा 10-15 सीटों हलकों तक ही प्रचार में सीमित रही। टिकट बंटवारे के बाद कम से कम 10 दिनों तक वह घर बैठी रहीं और उन्होंने खुलकर इस पर नाराजगी भी जाहिर की। भाजपा ने इस मुद्दे कोे खूब भुनाने की कोशिश की। हाईकमान के दखल के बाद सैलजा प्रचार में उतरीं।
सुरजेवाला : कैथल तक ही सीमित रहे, नरवाना में भी किया प्रचार
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने खुद को कैथल तक ही सीमित रखा और उन्होंने अपने बेटे आदित्य की जीत के लिए पूरा जोर लगाए रखा। उनके कोटे से नरवाना में भी टिकट मिला था। यहां भी उन्होंने प्रचार किया। सुरजेवाला बीच बीच में सीएम पद को लेकर दावेदारी जताते रहे हैं, लेकिन ऐसा कोई विवादित बयान नहीं दिया जिससे पार्टी को परेशानी हो।
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