जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘विधायकों द्वारा की गई मस्ती और बाड़ेबंदी-1, 2 व 3 की घनघोर बेइज्जती के बाद फेयरमाउण्ट में फाइव स्टार बाड़ेबंदी-4 रिलीज होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 8 करोड़ जनता याद रखेगी कि जब जनता को जरूरत थी, तो आप किस बेशर्मी से होटल में मस्ती मार रहे थे।
मुख्यमंत्री गहलोत के बयान कि एक महीने साथ रहने पर उनके पार्टी के विधायकों के सम्बन्ध अच्छे हो गये, इस पर पटलवार करते हुए डॉ. पूनियां ने कहा कि इसका मतलब जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, इनके सम्बन्ध अच्छे नहीं थे, शुरू से ही इनके अन्दर खींचतान और विग्रह था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद विधायकों की बाड़ेबंदी कर रहे हैं और भाजपा पर कांग्रेस के अन्दर चल रहे झगड़े के झूठे आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस में चल रहे झगड़े का आरोप भाजपा पर लगाकर गहलोत कांग्रेस आलाकमान की नजर में खुद के दामन को साफ बताने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि गहलोत के अहंकार के कारण कांग्रेस और प्रदेश में ऐसे हालात बने।
पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत कहते हैं कि 100 विधायकों का एक साथ रहना हिन्दुस्तान के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ, लेकिन उनके 100 विधायक, मंत्री 32 दिन तक प्रदेश की जनता को भगवान भरोसे छोड़कर होटल के बाड़े में मौज-मस्ती करते रहे, ऐसा शर्मनाक वाकया भी आज तक के इतिहास में कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि ऐसा भी पहली बार हुआ है कि सरकार के इशारे पर उसकी जांच एजेंसियां उनके ही विधायकों पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए दूसरे राज्य तक चली जायें और समझौते में वो ही विधायक सीधे मुख्यमंत्री से मिलने पहुंच जायें।
पूनियां ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान की नजर में खुद को नायक साबित करने और नाराज विधायकों को खलनायक साबित करने का खेल खेलते रहे, खुद के अहंकार एवं तानाशाही रवैये के कारण कांग्रेस पार्टी में हुए विग्रह से ध्यान हटाने के लिए भाजपा, प्रधानमंत्री मोदी जी, गृहमंत्री अमित शाह जी पर झूठे आरोप लगाते रहे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और नैतिकता की बार-बार बात करने वाले अशोक गहलोत क्यों भूल जाते हैं कि आपकी पार्टी की सरकार ने देश पर इमरजेंसी थोपी थी और सबसे ज्यादा अनुच्छेद 356 का दुरूपयोग राज्य सरकारों को गिराने के लिए कांग्रेस ने ही किया था। मर्यादा एवं नैतिकता की बात करने वाले अशोक गहलोत क्यों भूल जाते हैं कि राजभवन के खिलाफ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर इन्होंने प्रदेश के स्वाभिमान एवं सम्मान को ठेस पहुंचाई, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। (एजेंसी, हि.स.)
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