नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष (chairman) और सदस्यों के चुनाव पर आपत्ति जताई है. पार्टी ने इस संबंध में डिसेंट नोट (dissent note) जारी कर चुनाव की इस पूरी प्रक्रिया को गलत बताया है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम को एनएचआरसी का नया अध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले पर असहमति जताते हुए कहा है कि यह प्रक्रिया पूर्व निर्धारित थी और इन नियुक्तियों से पहले न तो विचार-विमर्श किया गया और न ही सहमति ली गई.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने एनएचआरसी के अध्यक्ष पद के लिए जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन और जस्टिस के. मैथ्यू जोसेफ के नाम का प्रस्ताव रखा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम को अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
कांग्रेस नेताओं ने इस डिसेंट नोट में कहा है कि एनएचआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति करते समय धर्म, क्षेत्र और जाति के संतुलन को ध्यान में नहीं रखा गया. इस तरह की चुनाव प्रक्रिया से सरकार के उदासीन रवैये का पता चलता है.
राहुल गांधी और खड़गे ने एनएचआरसी के सदस्यों के तौर पर जस्टिस एस.मुरलीधर और जस्टिस कुरैशी के नाम की सिफारिश करते हुए कहा था कि मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए इन दोनों जजों का शानदार रिकॉर्ड है.
बता दें कि जस्टिस रामासुब्रमण्यम की नियुक्ति से पहले एनएचआरसी का अध्यक्ष पद खाली पड़ा था. जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक जून को पूरा हो गया था, जिसके बाद से ये पद खाली था. इसके बाद 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्च अधिकार समिति की बैठक में एनएचआरसी के अगले अध्यक्ष का चुनाव किया गया. इस बैठक में राहुल गांधी और खड़गे ने भी शिरकत की थी.
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