जयपुर (Jaipur) । हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और कर्नाटक (Karnataka) में बदलाव का रिवाज बरकरार रखते हुए जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस (Congress) राजस्थान में रिवाज बदलना चाहती है। पार्टी को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में वह जीत दर्ज कर फिर सरकार बनाएगी। इसलिए, पार्टी मिशन सरकार रिपीट पर काम कर रही है। राजस्थान (Rajasthan) में हर पांच साल में बदलाव का रिवाज है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह योजनाओं का ऐलान और उन्हें लागू किया है, उससे कांग्रेस को उम्मीद जगी है। हालांकि, मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच रार अभी बरकरार है। पायलट ने रविवार को भी दौसा में मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर निशाना साधा। इससे सरकार की चुनौतियां बढ़ी हैं।
वहीं, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत ने चुनावी वर्ष में जिस तरह योजनाओं की घोषणा और उन्हें लागू किया है, उससे काफी बदलाव आया है। योजनाओं के साथ पार्टी संगठन को मजबूत करने और सभी को साधने पर भी जोर दे रही है। वहीं, कांग्रेस अपनी कमजोर सीट पर अलग से रणनीति बना रही है।
कई कल्याण बोर्ड का गठन किया
चुनाव से पहले अलग-अलग समाजों को साधने की रणनीति के तहत प्रदेश सरकार ने कई कल्याण बोर्ड का गठन किया है। इनमें गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण की जयंती पर अवकाश की घोषणा और महाराणा प्रताप बोर्ड सहित एससी व ओबीसी से जुड़े तीन बोर्ड को मंजूरी देना शामिल हैं ताकि, सर्व समाज का साथ मिल सके।
इसके साथ पार्टी राजस्थान कांग्रेस संगठन के पेंच भी कस रही है। पार्टी इस माह के अंत में विधायकों का सम्मेलन करने की तैयारी कर रही है, ताकि चुनाव रणनीति को अंतिम रूप दिया जा सके। पार्टी ने उम्मीदवारों को लेकर एक सर्वे भी कराया है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, कर्नाटक की तरह राजस्थान में भी सर्वे के आधार पर टिकट देगी।
कमजोर सीट को लेकर अलग रणनीति बनाई
कांग्रेस ने कमजोर सीटों को लेकर अलग रणनीति बनाई है। प्रदेश में करीब चालीस ऐसी सीट है, जहां वर्ष 2013 और 2018 में पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा। पार्टी इन सीटों पर संगठन को मजबूत करने के साथ संभावित उम्मीदवारों तलाश रही है। एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, इन सीटों पर पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है।
मेवाड़-वागड़ क्षेत्र पर भी कांग्रेस की नजर है। वर्ष 2018 के चुनाव में पार्टी को इस क्षेत्र में 28 में से सिर्फ 10 सीट मिली थी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस क्षेत्र पर खास ध्यान दिया जा रहा हैं। क्योंकि, राजस्थान में बदलाव के रिवाज को बदलने के लिए कांग्रेस का हर क्षेत्र खासकर मेवाड़ में बेहतर प्रदर्शन करना जरुरी है।
एकजुटता अहम
राजस्थान में कांग्रेस बदलाव के रिवाज को बदलने की तैयारी कर रही है। कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद पार्टी के अपनी योजनाओं को लेकर भरोसा बढ़ा है। पर इसके लिए संगठन में एकजुटता भी बेहद जरूरी है। फिल्हाल पार्टी नेतृत्व की तमाम कोशिशों के बावजूद अशोक गहलोत और पायलट में झगड़ा खत्म नहीं हुआ है।
इन योजनाओं पर भरोसा
पुरानी पेंशन योजना, पांच सौ रुपए में रसोई गैस सिलेंडर, चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना, 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली, शहरी रोजगार गारंटी योजना, महिलाओं को बस किराए में पचास फीसदी की छूट और सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि शामिल हैं।
– वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस 100, भाजपा 73, बसपा छह, आरएलपी तीन, अन्य पार्टियां व निर्दलीय को 18 सीट मिली थी।
– वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 22 सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। एक सीट एनडीए में शामिल आरएलपी को मिली थी।
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