भोपाल। नगर निकाय चुनाव तथा विधानसभा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस के रणनीतिकार वो हर दांव खेलने की तैयारी में लगे है जिससे प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को पटखनी दी जा सके। कांग्रेस पिछले साल मार्च में प्रदेश की सत्ता से बेदखल होने के बाद और उप चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब किसी तरह की चूक नहीं चाहती। ऐसे में अब संगठनात्मक फेरबदल भी बहुत सोच समझ कर किया जा रहा है। इसी के तहत अब पार्टी के दिग्गज नेता और दमोह नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके मनु मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। माना जा रहा है कि मिश्र के अनुभवों का लाभ हासिल कर पार्टी निकाय चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
दरअसल विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने जिलाध्यक्ष अजय टंडन को अपना प्रत्याशी बनाया है। पूर्व पालिका अध्यक्ष मनु मिश्रा भी इस पद के प्रबल दावेदारों में रहे। लेकिन पार्टी के रणनीतिकार मिश्रा को दोबारा नगर पालिका अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाने के साथ ही जिले की कमान सौंपने का निर्णय किया है। ऐसे में जिन चार जिला अध्यक्षों की सूची जारी की गई है उसमे मनु मिश्रा को शामिल किया गया।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो विधानसभा उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए दमोह नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मनु मिश्रा को कांग्रेस का जिलाध्यक्ष बनाया है। राजनीतिक पंडितों का मत है कि भाजपा ने जहां कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए दमोह के पूर्व विधायक राहुल सिंह पर दांव खेला है, इस लिहाज से भी कांग्रेस ने अपना नया जिला अध्यक्ष घोषित कर नया दांव खेला है। हालांकि भाजपा की ओर से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया अपनी दावेदारी कर रहे थे लेकिन उनका टिकिट कट गया। ऐसे में अब उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। यह अलग बात है कि अभी तक उन्होंने अपने पत्ते नही खोले हैं। लेकिन यह माना जा रहा है कि सिद्धार्थ के मैदान में आने के बाद लड़ाई रोचक हो सकती है। बता दें कि मनु मिश्रा 2009 से 2014 तक दमोह नगर पालिका अध्यक्ष रहे। उन्होंने सचिन गुरु को हराया था। मिश्रा पुराने कांग्रेस नेता है और ब्राह्मणों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि उन्हें पार्टी की कमान सौंपने से ब्राह्मण वोट का ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में हो सकता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved