लखनऊ (Lucknow) । समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की तरफ से लोकसभा की 11 सीटें (Lok Sabha seats) दिए जाने की घोषणा से कांग्रेस (Congress) को राहत तो मिली लेकिन संतुष्टि नहीं। यही वजह है कि कांग्रेस नेताओं ने इस घोषणा पर ठंडी पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस की कोशिश है कि यूपी में बनने वाले गठबंधन में उसे कम से कम इतनी सीटें जरूर मिलें, जिसके आधार पर वह अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करते हुए उनमें मजबूती से चुनाव लड़ने का जोश भर सके।
पिछले चार लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन वर्ष 2009 में रहा, जब उसने 69 सीटों पर चुनाव लड़कर 21 सीटें जीती थीं। तब चुनाव में उसे 18.25 प्रतिशत मत मिले थे। इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में उसे नौ सीटों पर सफलता मिली थी। बाद के दो चुनावों में उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। उसे 2014 के चुनाव में दो और 2019 के चुनाव में मात्र एक सीट पर जीत मिली। इस बार गठबंधन में चुनाव लड़ने की तैयारियों के बीच फिलहाल सपा व रालोद उसके सहयोगी हैं।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस 2009 के अपने प्रदर्शन को आधार बनाकर सहयोगी दलों से सीटों की मांग कर रही है। माना जा रहा है कि वह कम से कम 21 लोकसभा सीटें चाहती है। सपा ने कांग्रेस के लिए 11 और रालोद के लिए सात सीटें छोड़ने का मन बना लिया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अखिलेश यादव की घोषणा को बस सकारात्मक संकेत के तौर पर लिया।
2009 में इन सीटों पर जीती थी कांग्रेस
2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अकबरपुर, अमेठी, रायबरेली, बहराइच, बाराबंकी, बरेली, धौरहरा, डुमरियागंज, फैजाबाद, फर्रूखाबाद, गोंडा, झांसी, कानपुर, खीरी, कुशीनगर, महाराजगंज, मुरादाबाद, प्रतापगढ़, श्रावस्ती, सुल्तानपुर और उन्नाव सीट पर सफलता मिली थी। बाद में हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने फिरोजाबाद सीट जीती थी, जिससे उसकी लोकसभा सीटें 22 हो गई थीं।
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