इंदौर, अरविंद तिवारी। कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लडऩे वाले 25 नेताओं ने भोपाल में पार्टी के प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में साफ शब्दों में कहा कि नेता भले ही पार्टी छोडक़र चले गए पर कार्यकर्ता मैदान में डटे रहे। उन्होंने ईमानदारी से काम किया। उनका यह भी कहना था कि चुनाव में जो लोग भीतरघात करते थे, वे चुनाव के पहले ही पार्टी छोडक़र चले गए, इसलिए इस बार भीतरघात बहुत कम हुआ। हमने चुनाव भी बहुत दमदारी से लड़ा। इस बात को लेकर सभी उम्मीदवार एक मत थे कि ब्लाक और जिला स्तर पर संगठन को बहुत मजबूत करने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी बदलाव भी किए जाने चाहिए। छिंदवाड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ और उज्जैन के उम्मीदवार महेश परमार बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने इसकी पूर्व सूचना प्रदेश कांग्रेस को दे दी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी सहित पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में लोकसभा प्रत्याशियों ने खुलकर अपनी बात रखी। कमलनाथ बैठक में आधा घंटा ही मौजूद रहे। मालवा-निमाड़ क्षेत्र के 6 प्रत्याशियों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि चुनाव में सबने ईमानदारी से काम किया। कुछ अपवाद छोड़ दें तो जिसे जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसने अच्छे से उसका निर्वहन किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और झाबुआ से कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया, खरगोन से चुनाव लड़े पोरलाल खरते, धार के प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल के साथ ही राजेंद्र मालवीय (देवास-शाजापुर), दिलीप सिंह गुर्जर (मंदसौर-नीमच) और नरेंद्र पटेल (खंडवा) ने अपनी बात रखी। कुछ लोगों ने जिला संगठन से ठीक तरह से मदद नहीं मिलने की बात कही तो कुुछ ने कहा कि यदि ब्लाक कांग्रेस ठीक से मदद करती तो वे और अच्छी स्थिति में रहते। उम्मीदवारों का यह भी कहना था कि उन्होंने तो अपने पास उपलब्ध संसाधनों से जितना बेहतर चुनाव लड़ सकते थे, वह लड़ा। जनता का रिस्पांस तो 4 जून को ही मालूम पड़ेगा। कुछ उम्मीदवारों की पीड़ा इस बात को लेकर जरूर थी कि उनके क्षेत्र के वरिष्ठ नेता इतने सक्रिय नहीं रहे, जितनी उनसे अपेक्षा थी। कुछ उम्मीदवारों ने यह भी कहा कि पार्टी नेताओं को सोच-समझकर ही जिम्मेदारी दी जाना चाहिए। कई बार जिसकी जितनी हैसियत नहीं होती है, हम उससे बड़ी जिम्मेदारी उसे सौंप देते हैं। इसका भी नुकसान उठाना पड़ता है। बैठक में यह भी तय किया गया कि सरकार की वादाखिलाफी को जनता तक पहुंचाया जाएगा और नाकामियों पर सडक़ पर भी मोर्चा संभालेगी कांग्रेस।
कार्यकर्ता माई-बाप, उसकी बात सुनने के लिए ब्लॉक से प्रदेश लेवल तक संवाद
प्रदेश प्रभारी की मौजूदगी में यह भी तय किया गया कि 15 जून से 15 अगस्त तक पार्टी में संवाद कार्यक्रम चलाया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मुताबिक इसका मकसद हर परिस्थिति में हमारे लिए ईमानदारी से काम करने वाले कार्यकर्ता की बात को सुनना और उसके सुझाव को अमल में लाना है। वे ही हमारे असली माई-बाप हैं। इसकी शुरुआत ब्लॉक लेवल से होगी और समापन प्रांतीय अधिवेशन के साथ होगा। संवाद कार्यक्रम के लिए हर लोकसभा क्षेत्र के लिए एक वरिष्ठ नेता को प्रभारी बनाया जा रहा है, जो ब्लॉक और जिलास्तर के संवाद कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया को छोड़ प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेता लोकसभा प्रभारी बनाए जा रहे हैं। यह सूची जल्दी ही जारी कर दी जाएगी।
अजय सिंह बोले – फोटोकॉपी नियुक्ति बंद हो
नेता प्रतिपक्ष रहे वरिष्ठ विधायक अजय सिंह ने कहा कि पार्टी में थोकबंद नियुक्तियां बंद होना चाहिए। उनका कहना था कि बेहिसाब नियुक्तियों के कारण पद की गरिमा ही नहीं रह पाती। कांग्रेस के संविधान में नियुक्तियों को लेकर बहुत स्पष्ट व्यवस्था है और इसी के मुताबिक नियुक्तियां होना चाहिए। फोटोकॉपी वाली नियुक्तियां बंद होना चाहिए। पीसीसी में नियुक्ति पत्र की फोटोकॉपी तैयार रहती है, बस नाम भरने की देर रहती है। प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि अनुशंसा भी तो आप लोगों के माध्यम से आती है। इस पर सिंह ने कहा कि आप ऐसी अनुशंसा को बिल्कुल मत मानो।
वर्मा की बात से मिश्रा ने भी सहमति जताई
बैठक में जाने से पहले पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जिन लोगों ने विधानसभा चुनाव के समय गद्दारी की थी, उन्हें यदि उसी समय बाहर कर दिया जाता तो लोकसभा चुनाव में हमें इसका फायदा मिलता। उन्होंने कहा, पार्टी में छिपे भीतरघातियों के खिलाफ निर्भीक होकर सख्त कार्रवाई की जाना चाहिए। प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक के.के. मिश्रा ने उनकी बात से सहमति जताते हुए कहा कि जो गद्दार पार्टी छोडक़र गए हैं, उन्हें पार्टी में वापस लेने की अनुशंसा जो भी करेगा, मैं वास्तविक पार्टीजनों को साथ लेकर उनके खिलाफ भी मोर्चा खोलूंगा।
पद की प्रतिष्ठा बनी रहेगी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बेहिसाब नियुक्तियों से असहमति जताते हुए कहा कि पद की प्रतिष्ठा का ध्यान रखा जाएगा। नई प्रबंधकारणी में बहुत कम पदाधिकारी होंगे, लेकिन उनकी जिम्मेदारी बहुत ज्यादा होगी। हम चाहते हैं कि जिसे जो जिम्मेदारी सौंप उससे उसकी गरिमा का एहसास रहे। सूत्रों के मुताबिक एक माह के भीतर नए पदाधिकारी की नियुक्ति हो जाएगी और इस बार 300- 400 नेताओं के बजाय लगभग 50 नेताओं को ही पदाधिकारी के रूप में काम करने का मौका मिलेगा।
मतगणना के एक दिन पहले बड़े नेता मोर्चा संभाले
बैठक में कुछ उम्मीदवारों ने यह सुझाव भी दिया कि जिन लोकसभा क्षेत्र में मुकाबला कांटाजोड़ है, वहां मतगणना के एक दिन पहले ही प्रदेश नेतृत्व किसी वरिष्ठ नेता को तैनात करे, जो स्थानीय नेताओं से तालमेल जमा मतगणना के दिन की रणनीति बनाएं। मतगणना के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ होने की स्थिति में उक्त नेता की मौजूदगी पार्टी के लिए फायदेमंद रहेगी।
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