नई दिल्ली (New Delhi) । कांग्रेस (Congress) ने अपने घोषणा पत्र (manifesto) में रेल किराये (train fare) में रियायत का पासा फेंककर देश के वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) को साधने का प्रयास किया है। रेलवे सामाजिक दायित्व के तहत दशकों से ट्रेन में वरिष्ठ महिला-पुरुष यात्रियों को किराये में 50 फीसदी तक छूट देती रही है। इसे कोराना महामारी के दौरान 20 मार्च 2020 में बंद कर दिया गया था। लोकसभा चुनाव में रेल रियायत कार्ड के मुद्दे को उठाकर कांग्रेस देश के एक बड़े वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।
भारतीय रेल वरिष्ठ नागरिकों सहित कुल 54 श्रेणियों में यात्रियों को रेल किराये में 10 फीसदी से 100 प्रतिशत तक रियायत देती है। कोरोना महामारी के दौरान रेलवे बोर्ड ने सभी रियायतों को बंद कर दिया। हालांकि कोरोना का प्रभाव कम होने पर दिव्यांग की चार श्रेणी, रोगियों व छात्रों सहित कुल 11 श्रेणी में रेलवे में रियायात शुरू की है लेकिन वरिष्ठ नागरिकों सहित अन्य श्रेणी में किराये में छूट प्रतिबंधित है। वरिष्ठ नागरिकों को किराये में रियायत देने की मांग समय-समय पर रेलवे यूनियन, विशेषज्ञ व संसदीय समिति उठाती रही है। हालांकि सरकार का तर्क है कि वह रेल किराये में सभी यात्रियों को 53 फीसदी की छूट दे रही है। यानी ट्रेन परिचालन लागत के अनुसार 100 रुपये का रेल टिकट 47 रुपये रुपये में बेचा जा रहा है।
स्थायी समिति ने रियायत का दिया था सुझाव
भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली रेल संबंधी संसद की स्थायी समिति ने मार्च 2023 में संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में वरिष्ठ नागरिकों को अविलंब रेल रियायत देने का सुझाव दिया था। समिति ने कहा कि रेलवे ने महामारी और कोविड प्रोटोकाल के मुद्देनजर वरिष्ठ नागरिकों सहित विभिन्न श्रेणी में दी जाने वाली रियायत को बंद किया था। रेलवे 58 वर्ष की महिला को रेल किराये में 50 फीसदी और 60 वर्ष के पुरुष को 40 प्रतिशत रियायत देती है।
समिति के अनुसार रेलवे का राजस्व पटरी पर आ गया है। वरिष्ठ नागरिकों को किराये में ट्रेनों के एसी-3 व स्लीपर श्रेणी में छूट देने की जरूरत है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिक इसका लाभ उठा सकें। रेलवे को इस विषय पर भावनात्मक रूप में विचार करना चाहिए। समिति ने अगस्त 2022 में भी इसे लागू करने को कहा था।
किराये में छूट देने की जरूरत
रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष विवेक सहाय ने कहा कि वरिष्ठ जनों को रेल किराये में छूट देने की जरूरत है। सभी प्रकार के रेल किराये में छूट देने पर रेलवे को सालाना 1800 करोड़ रुपये की हानि होती है। रेल देश का राष्ट्रीय परिवहन है, अधिकांश आम जनता का यह प्रमुख साधन है। सामाजिक दायित्व के तहत वरिष्ठों का यह हक बनता है। आखिर सरकार कल्याणाकरी योजनाओं पर सालाना हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है।
यूनियन ने कई बार लिखा पत्र
रेल यूनियन एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि हमारी प्रमुख मांगों में वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में छूट देना प्रमुख एजेंडा रहा है। इस बाबत रेल मंत्री सहित रेलवे बोर्ड को कई बार पत्र लिख चुके हैं। सालाना लगभग 800 करोड़ रेल यात्री सफर करते हैं। इसमें नौ करोड़ रेल यात्री वरिष्ठ नागरिक हैं।
54 श्रेणियों में रियायत देता रेलवे
रेलवे वरिष्ठ नागरिकों सहित कुल 54 श्रेणियों में रेल किराये में रियायत देता है। इसमें प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त, वरिष्ठ नागरिक, खिलाड़ी, कलाकार, विधवा, विद्यार्थी, मूक-बधिर, नेत्रहीन, विकलांग, मानसिक रोगी, अपंग यात्री, खिलाड़ी, कलाकार, फिल्म तकनीशियन, आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद हुए पुलिस, सेना, अर्धसैनिक बल के जवानों की विधवाओं आदि को 10 से 100 फीसदी रेल किराये में रियायत दी जाती है।
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