नई दिल्ली (New Delhi) । कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लेकर एक बड़ा दावा किया है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) के दौरान मणिशंकर अय्यर ने खुलासा किया कि सोनिया गांधी उन्हें राजनीति में नहीं रहने देना चाहती थीं. दरअसल, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान, सोनिया गांधी और राजीव गांधी पर खुलकर बातचीत की. उन्होंने कहा, ‘एक वक्त सोनिया गांधी नहीं चाहती थीं मैं राजनीति में रहूं. इसके बाद भी मैं राजनीति में रहा.’
सोनिया गांधी पर अय्यर का खुलासा
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मणिशंकर अय्यर ने कहा, ‘कुछ लोगों ने मुझे सुझाव दिया कि मैं अपनी आत्मकथा लिखूं. इसलिए मैंने सोचा कि मेरी जिंदगी में ऐसी कौन सी उपलब्धियां रहीं, जिन्हें लोग पढ़ना चाहेंगे. तभी सोनिया गांधी ने भी कहा था कि मुझे आत्मकथा लिखनी चाहिए. तब मुझे पता चला कि सोनिया गांधी नहीं चाहती थीं कि मैं राजनैतिक जीवन में रहूं.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि सोनिया गांधी नहीं चाहतीं कि मैं राजनीति में रहूं.’
पाकिस्तान पर क्या बोले मणिशंकर अय्यर
वहीं, उन्होंने कश्मीर मसले पर पाकिस्तान से बातचीत की भी वकालत की. मणिशंकर अय्यर ने कहा, ‘सरकार की पाकिस्तान से बातचीत करने की हिम्मत नहीं है.’ उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों की नीति समझ नहीं आ रही है. हम सर्जिकल स्ट्राइक तो कर सकते हैं, मगर टेबल पर बातचीत नहीं कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से बात की थी. कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए मेरे पास चार अहम सुझाव थे. मुझे नहीं पता कि इस मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं की गई. मुझे पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति समझ में नहीं आती. हम सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते हैं, लेकिन बैठकर बात नहीं कर सकते.’ बता दें कि 2014 के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है.
राजीव पर अय्यर ने क्या कहा
इससे पहले मणिशंकर अय्यर ने दावा किया था कि राजीव गांधी की सरकार ने अपने प्रचंड बहुमत का इस्तेमाल देश को एकजुट करने के लिए किया था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मौजूदा सरकार अपने बहुमत के दम पर ‘‘विविधता पर एकरूपता थोपने का प्रयास कर रही है. अपनी पुस्तक ‘‘द राजीव आई न्यो’ को लेकर ‘ अय्यर ने कहा कि राजीव गांधी ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्हें सही तरीके से नहीं समझा गया, जबकि वह एक ‘‘बहुत ईमानदार व्यक्ति’’ थे, लेकिन उनमें राजनीतिक चतुराई, साजिश और उन गुणों का अभाव था जिन्हे हिंदी फिल्मों में एक नेता की खूबी के रूप में दर्शाया गया.
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