ग्वालियर: 2023 के विधानसभा चुनाव (2023 assembly elections) के लिए कांग्रेस मध्य प्रदेश में कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती, डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने के पीछे कांग्रेस की एक बड़ी रणनीति (big strategy) बताई जा रही है. कांग्रेस ग्वालियर-चंबल अंचल में 2018 की सफलता को दोहराने के लिए अभी से तैयारियों में जुटी है, इसी के तहत डॉक्टर गोविंद सिंह (Dr. Govind Singh) को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. क्योंकि कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को उनके घर में ही घेरना चाहती है. यही वजह है कि गोविंद सिंह भी सिंधिया को उनके घर में ही घेरने में जुट गए हैं.
नेता प्रतिपक्ष बनते ही गोविंद सिंह दूसरे दिन सीधे ग्वालियर पहुंचे, जहां उन्होंने बिना मौका गवाएं सीधा केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा. ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ता उत्साहित नजर आए. कांग्रेस डॉक्टर गोविंद सिंह को सिंधिया का विकल्प करार दे रही है, वहीं सिंधिया पर हुए हमले के बाद सिंधिया के समर्थक मंत्री भी कांग्रेस के खिलाफ लामबंद हो गए. सिंधिया समर्थक मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह को सिंधिया के कद के सामने, बेहद बौना और छोटा नेता करार दे रहे हैं.
दरअसल, सिंधिया के जाने के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल में दिशाहीन हुई कांग्रेस को लंबे समय से सिंधिया की जगह रिक्त हुए स्थान को भरने के लिए एक चेहरे की तलाश थी, कयास लगाए जा रहे थे कि सिंधिया की जगह दिग्विजय सिंह या फिर उनके बेटे जयवर्धन सिंह (Jaivardhan Singh) लेंगे. लेकिन इन कयासों के उलट कांग्रेस पार्टी ने सभी को चौकाते हुए दिग्विजय सिंह के सबसे नजदीकी और भरोसेमंद डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाकर ग्वालियर चंबल अंचल में डॉक्टर गोविंद सिंह का कद सिंधिया के समकक्ष बनाने की कोशिश की.
डॉक्टर गोविंद सिंह भी नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद सिंधिया के खिलाफ ही मुखर दिखाई दिए उन्होंने सिंधिया को कांग्रेस के लिए कोई चुनौती ना होना करार दिया. कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने यह दावा किया कि डॉक्टर गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद बीजेपी के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बेहद घबरा गए हैं क्योंकि डॉक्टर गोविंद सिंह सिंधिया के खिलाफ तब भी मुखर रहते थे जब वह कांग्रेस में थे.
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के सिंधिया के प्रति दिखाए गए तल्ख तेवर के बाद बीजेपी आग बबूला हो गई, लिहाजा डॉक्टर गोविंद सिंह को मंत्री ओपीएस भदौरिया ने डॉक्टर गोविंद सिंह को लगाते हुए कहा कि उनके लिए तो मैं ही काफी हूं, बात यहीं नहीं रुकी इसके बाद तुरंत मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का रिएक्शन आया उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने यह डॉक्टर गोविंद सिंह की नेता प्रतिपक्ष के पद पर नियुक्ति सिर्फ एक व्यक्ति सिंधिया जी के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी के लिए की गई है, उन्होंने यह भी दावा किया कि डॉक्टर गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनने पर बीजेपी और सिंधिया को कोई फर्क नहीं पड़ता.
वहीं वरिष्ट पत्रकार और राजनीतिक जानकार देव श्रीमाली (Dev Shrimali) का कहना है कि डॉ गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद जिस तरह से प्रदेश और ग्वालियर चंबल अंचल का पॉलीटिकल एनवायरनमेंट बदला है, भोपाल में सत्ता की पाने का रास्ता ग्वालियर होकर गुजरता है, 2018 में ग्वालियर चंबल में कांग्रेस का दबदबा रहा और वह सरकार बनाने में कामयाब रहे, 2020 में जब कांग्रेस की सरकार गई उसमें भी इसी अंचल का महत्वपूर्ण योगदान था, यही कारण है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए ग्वालियर चंबल संभाग बेहद महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि कांग्रेस सिंधिया को घर में ही घेरने की कोशिश करने में जुटी है ताकि 2018 के परिणामों को दोहराया जा सके, गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
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