मुंबई: कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने हिजाब (Hijab Row) पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों का बचाव करते हुए शुक्रवार को एक और विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि हिंदू महिलाएं और ‘स्वामीजी’ भी अपना सिर ढकते हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक नेताओं के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है और उनका इरादा उनका अपमान करना नहीं था. हिजाब विवाद के बारे में बात करते हुए सिद्धारमैया के संदर्भ में भाजपा (BJP) पार्टी के नेताओं और अन्य संगठनों ने जमकर आलोचना की.
इसमें कहा गया कि वह अल्पसंख्यकों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं. बाद में संगठनों ने उनसे माफी की मांग भी की है. कर्नाटक के पूर्व सीएम ने हिजाब विवाद के लिए राज्य में भाजपा नेताओं को दोषी ठहराया. मैसूर में अपने पैतृक गांव सिद्धारमना हुंडी में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘हिजाब विवाद के लिए भाजपा जिम्मेदार है. मुस्लिम लड़कियां अपने सिर पर दुपट्टा पहनती हैं. इसमें क्या गलत है. क्या हिंदू महिलाएं अपने सिर को कपड़े से नहीं ढकती हैं.’
‘भाजपा ऐसा करके खुद को घेर रही है’
उन्होंने कहा, हमें इंसानों का सम्मान करना है. जब बारिश हो रही है तो आप किसी मुस्लिम या ईसाई को पेड़ के आश्रय से दूसरी जगह नहीं भेज सकते हैं. जब आप बीमार पड़ते हैं और ऑपरेशन किया जाता है तो जाति और धर्म से परे खून लिया जाता है. उन्होंने कहा, ‘सत्तारूढ़ भाजपा सोचती है कि वे इन मुद्दों के साथ कांग्रेस को घेर रही है. लेकिन, वे नहीं जानते कि वे ऐसा करके खुद को घेर रही है.’
भाजपा नेता केवल अपने हिंदू वोट बैंक को बढ़ाना चाहती है- सिद्धारमैया
सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता केवल अपने हिंदू वोट बैंक को बढ़ाना चाहती है. हालांकि, राज्य ने अपनी रणनीति को समझ लिया है और उन्हें मूर्ख नहीं बनाया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने ही कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद खड़ा किया है. दोनों समुदायों के लोगों से सलाह मशविरा कर मामले को सुलझाया जा सकता था. लेकिन, इसे जानबूझकर खींचा गया है.’ उन्होंने राज्य सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे की तुलना उन परिवारों से की, जिन्होंने सांप्रदायिक झड़पों में अपने प्रियजनों को खो दिया है.
गौरतलब है कि कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति जे. एम. खाजी की तीन सदस्यीय पीठ ने 15 मार्च को मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. इन याचिकाओं में कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगी गई थी.
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