नई दिल्ली । राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राऊज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता के समक्ष माफी मांग ली जिसे डोभाल ने स्वीकार कर लिया। उसके बाद कोर्ट ने जयराम रमेश के खिलाफ केस बंद कर दिया।
इस मामले में कारवां मैगजीन और लेखक कौशल श्राफ के खिलाफ सुनवाई जारी रहेगी। जयराम रमेश ने अपने माफीनामे में कहा है कि चुनावी मौसम में कारवां मैगजीन के लेख से प्रभावित होकर उन्होंने आरोप लगाए थे। जयराम रमेश ने कहा कि वे कांग्रेस पार्टी से भी मांग करेंगे कि वेबसाइट पर उपलब्ध रिलीज़ से वो प्रेस कांफ्रेंस हटा ले।
विवेक डोभाल की याचिका पर कोर्ट ने 22 जनवरी 2019 को संज्ञान लिया था। कोर्ट ने मई 2019 में जयराम रमेश को जमानत दी थी। विवेक डोभाल ने अपने वकील डीपी सिंह के जरिए कोर्ट से कहा था कि कारवां मैगजीन ने अपने लेख में डी कंपनी का जिक्र किया है जिसका मतलब दाऊद इब्राहिम गैंग होता है। डीपी सिंह ने कहा था कि लेखक कौशल श्राफ ने छापने के पहले कोई पड़ताल नहीं की। इस लेख के जरिए हमारे परिवार को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि अगर परिवार को बदनाम करने की कोशिश नहीं की गई है तो आलेख में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के चित्र छापे गए हैं और डी कंपनी कहा गया है। डीपी सिंह ने कहा था कि लेख में जयराम रमेश के प्रेस कांफ्रेंस का जिक्र है। जिसके बाद ट्विटर पर काफी चर्चा हुई। ये पूरे तरीके से बदनाम करने की कोशिश की गई।
याचिका में कहा गया है कि विवेक डोभाल और अमित शर्मा कैमरन आइलैंड नामक हेज फंड के डायरेक्टर हैं। याचिका में कहा गया है कि जयराम रमेश और कारवां मैगजीन ने उनके खिलाफ झूठे बयान दिए और छापे हैं। ये बयान उनके पिता अजीत डोभाल की छवि को धूमिल करने के लिए दिए गए। याचिका में कहा गया है कि जयराम रमेश ने अपने बयानों के जरिए उनकी और उनकी हेज फंड कंपनी के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के आरोप लगाए हैं। याचिका में कहा गया है कि इन बयानों से उनकी वर्षों के मेहनत से अर्जित प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। याचिका में कहा गया है कि कारवां मैगजीन ने अपने आलेख में उनकी कंपनी को डी कंपनी कहकर संबोधित किया है और उनकी और उनकी कंपनी को बदनाम करने की कोशिश की है।
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