नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) अब कांग्रेस पार्टी के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं, क्योंकि जिस तरह से उनके बयान समाने आ रहे हैं निश्चित ही यह कांग्रेस (Congress) के लिए ठीक नहीं है। हाल ही में उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अगले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में कांग्रेस 300 सीटें जीतेगी। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक रैली में उन्होंने कहा कि पार्टी को अभी इतनी ज्यादा सीटें मिलने के हालात ही नहीं हैं। जिसके बाद उनका यह बयान राननीतिक सुर्खियां बटोर रहा है।
अब गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया कि किसी ने सोचा भी नहीं होगा। धर्मांतरण को लेकर हुए विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा करने वाला या कराने वाला दोनों ही गलत नहीं होते। उन्होंने कहा कि अगर कोई लोगों का धर्म परिवर्तन कर रहा है तो वह तलवार का इस्तेमाल नहीं कर रहा, जो आजकल प्रचलन में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा काम है और वो व्यक्ति का चरित्र है, जो लोगों को प्रभावित कर रहा है। कांग्रेस नेता का कहना है कि लोग प्रभावित होकर अपना धर्म बदलवाते हैं ना कि किसी डर से ऐसा करते हैं। जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले (Udhampur District) में क्रिसमस कार्यक्रम में ईसाई समुदाय के साथ शरीक हुए आजाद ने कहा कि लोग तब धर्म परिवर्तन कराते हैं, जब वे किसी विशेष धर्म को मानवता की सेवा करते हुए देखते हैं, सबको साथ लेकर चलते हुए और भेदभाव नहीं करते हुए देखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर तत्कालीन ‘महाराजा’ के तहत वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की तुलना में बेहतर था।
उन्होंने स्थानीय निवासियों के जमीन से जुड़े सुरक्षा उपायों, नौकरियों और दरबार मूव प्रथा के समाप्त होने का जिक्र करते कहा कि एक महाराजा, जिसको हम तानाशाह कहते थे, साक्षी राज कहते थे, या स्वेच्छाचारी शासक (अपनी इच्छा से) कहते थे, वो आज के वक्त से ज्यादा अच्छा सोचते थे लोगों की भलाई के लिए। वहीं गुलाम नबी आजाद ने जिस दरबार मूव प्रथा (Durbar Move Practice) के खत्म होने का विरोध किया है, उसके तहत मौसम के साथ हर छह महीने में जम्मू कशमीर की राजधानी बदल जाती है।
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