नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र (winter session of parliament) को शुरू हुए हफ्ते भर बीत गए हैं, लेकिन हंगामा है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है। नगालैंड हिंसा (Nagaland Violence) पर गृह मंत्री अमित शाह का बयान (Home Minister Amit Shah’s statement) हो या फिर महंगाई पर चर्चा, दोनों मुद्दों की मांग विपक्ष कर रहा था। मगर जब मौका आया तो विपक्ष ने हंगामा किया किसी और मुद्दे पर। दरअसल, पिछले बुधवार से निलंबित हुए 12 सांसद (12 MPs suspended) कभी गांधी प्रतिमा के पास तो कभी गेट नंबर 1 पर धरने पर बैठे हैं। सियासी गर्माहट के बीच दिल्ली की सर्दी और बारिश में जब तक राज्यसभा स्थगित नहीं होती, तब तक वहीं डेरा डालकर बैठे रहते हैं।
निलंबित सांसदों की दो टूक
हुआ यह कि सोमवार की सुबह विपक्ष की बैठक बुलाई गई। बैठक में निलंबित सांसद भी आए थे। सांसद इस बात को लेकर नाराज थे कि हम बाहर धरने पर बैठे हैं और संसद में कामकाज सुचारू रूप से चल रहा है।
निलंबित सांसद में से एक का कहना था, ‘यह हमें मंजूर नहीं है, हमने जो किया अपनी पार्टी के मुताबिक किया। अगर हम पर कोई एक्शन होता है तो पार्टी को हमारे साथ खड़े रहना चाहिए।’
एक दूसरे सांसद ने कहा, ‘गांधीजी के नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट की ही तरह बाकी सहयोगियों को भी उनके समर्थन में उतरना चाहिए था, मगर ऐसा दिख नहीं रहा. सदन में बिल पास हो रहे हैं और चर्चा हो रही है और हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं।’
क्यों अलग-थलग पड़ी कांग्रेस?
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस पक्ष में नहीं कि शून्यकाल और प्रश्नकाल में विपक्ष हंगामा करे। शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले ही कांग्रेस के भीतर यह राय थी कि कामकाज ठप होने से हम सरकार को वॉकओवर दे देते हैं। यही वजह है कि जयराम रमेश और आनंद शर्मा ने इस बात की पैरवी की कि क्या हमें चर्चा चलने देनी चाहिए।
मगर डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य दल चाहते हैं कि जब तक निलंबित सांसदों की वापसी नहीं होती तब तक विपक्ष किसी भी सूरत में हाउस को ना चलने दे।
कांग्रेस और बाकी दलों के बीच इस बात को लेकर बहस हुई। कांग्रेस का कहना था कि महंगाई अहम मुद्दा है और उसमें चर्चा की मांग विपक्ष लंबे समय से कर रहा है तो जब मौका मिला है तो उसमें हमें अपनी बात कह कर उसे भुनाना चाहिए। मगर बाकी विपक्षी दल नहीं माने और उन्होंने निलंबित सांसदों का अल्टीमेटम ने यह साफ कर दिया कि राज्यसभा की कार्यवाही हंगामेदार ही रहेगी।
अनेकता में एकता
दिलचस्प बात यह है कि सांसदों के निलंबन ने विपक्ष को एकजुट करने का मौका दिया है। संसद के बाहर भले ही कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस गुथम-गुत्थी में उलझे हों, मगर संसद परिसर के भीतर निलंबित सांसद एक साथ उठते बैठते हैं और जलपान करते हैं। यही नहीं समय गुजारने के लिए साथ अंताक्षरी भी खेलते हैं।
ऐसे में विपक्ष की प्लानिंग है कि राज्यसभा के तमाम विपक्ष के सांसद एक साथ निलंबित सांसदों के साथ धरने पर बैठेंगे, जिससे सरकार को यह संदेश जाए कि भले ही वह अलग-अलग राज्यों से अनेक पार्टियां हों पर इस मुद्दे पर वह एकजुट हैं।
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