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    पंजाब को लेकर कांग्रेस हाईकमान अलर्ट, नेताओं को दे डाली अनुशासन में रहने की नसीहत

  • December 27, 2023

    नई दिल्ली: दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब की लीडरशिप से लोकसभा चुनाव की त्यारी को लेकर फीडबैक लिया. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और केसी वेणोगोपाल मौजूद थे. पंजाब के नेताओं से लोकसभा चुनाव को लेकर कैसी तैयारी है इस पर बात हुई लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में अनुशासन को लेकर की भी चर्चा हुई. हाईकमान ने पंजाब के नेताओं को अनुशासन में रहने की नसीहत भी दी है.

    पिछले कुछ दिनों से नवजोत सिद्धू और कांग्रेस बंटी हुई नजर आ रही थी. यह विवाद नवजोत सिद्धू की तरफ से बठिंडा में की अलग रैली से शुरू हुआ था. इसके बाद प्रताप बाजवा ने सिद्धू को अलग अखाड़ा न लगाने की नसीयत भी दे डाली थी. कई नेताओं ने संयुक्त ब्यान जारी कर सिद्धू को पार्टी से निकालने की भी मांग रखी थी. कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने बाजवा और सिद्धू की तरफ से दिए गए बयान भी मंगवाए थे.

    पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष राजा वडिंग ने भी इशारा किया था की जो भी पार्टी का अनुशासन तोड़ेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मीटिंग में जाने से पहले भी राजा वडिंग ने कहा था कांग्रेस में जो भी अनुशासन तोड़ेगा उस पर 100 फीसदी कार्रवाई होगी. वडिंग ने कहा था चाहे वो पीपीसीसी अध्यक्ष हो चाहे पूर्व पीपीसीसी अध्यक्ष हो चाहे ब्लॉक प्रेसिडेंट… गरिमा सब को रखनी होगी, जो भी बोलेगा उस पर कार्रवाई होगी.


    वडिंग ने कहा था कांग्रेस का नियम है की कोई भी पार्टी नेता व्यक्तिगत राय नहीं दे सकता. दूसरी तरफ नवजोत सिद्धू दावा करते हैं कि उनकी लड़ाई निजी नहीं है कांग्रेस के हित में है. सिद्धू के समर्थक बोलते हैं कि उनको पार्टी के किसी भी प्रोग्राम में बुलाया नहीं जाता. सिद्धू ने यह भी दावा किया था कि बठिंडा के मेहराज में हुई रैली में 8000 से जायदा लोग शामिल हुए थे. इसका मतलब है लोग एक विचारधारा से जुड़ना चाहते हैं.

    पंजाब कांग्रेस का जिम्मा अब देवेंद्र यादव को सौंपा गया है. वह पंजाब कांग्रेस के नए इंचार्ज बने हैं. उनके सामने भी कांग्रेस को एकजुट करने की चुनौती होगी. क्योंकी कांग्रेस के नेता खुद मानते हैं की पंजाब में विधान सभा चुनाव के समय भी पार्टी एक नहीं थी तभी पार्टी को नुकसान हुआ. कई नेता इसका जिमेदार सिद्धू को भी बताते हैं क्योंकि विधान सभा चुनाव के समय सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष थे.

    वह पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी के खिलाफ बयानबाजी को लेकर चर्चा में रहे. सिद्धू के अलग चलने पर पार्टी में गुटबाजी बढ़ती रही और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 18 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. अब जब लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं तो नवजोत सिद्धू फिर एक्टिव हुए हैं और उन्होंने बठिंडा में रैली कर शक्ति प्रदर्शन भी कर दिया है. कल या मंगलवार को दिल्ली में हुई मीटिंग के अंदर भी हाईकमान की तरफ से अनुशासन में रहने को कहा गया है. अब देखना होगा हाईकमान की सख्ती का पंजाब कांग्रेस के नेताओं पर कितना असर रहता है.

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