इंदौर। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद शहर में कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से प्रदेश कांग्रेस ने करीब 6 कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की थी, मगर एक या दो कार्यकारी अध्यक्षों को छोड़ दें तो बाकी सभी पद लेने के बाद निष्क्रिय ही दिखाई दिए हैं। हाल ही में प्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में बड़ी शिकस्त मिली थी। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में मायूसी का माहौल उत्पन्न हो गया था। कार्यकर्ताओं में जोश भरने और संगठन को मजबूत बनाने के उद्देश्य से प्रदेश कांग्रेस ने शहर अध्यक्ष का सहयोग करने के लिए ताबड़तोड़ करीब 6 कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति कर डाली थी, मगर गोलू अग्निहोत्री के साथ बनाए गए 6 कार्यकारी अध्यक्षों में कुछ ही हैं, जो गांधी भवन की पेढ़ी चढ़ते हैं, बाकी सभी पद लेेने के बाद फिर से भाजपा से मिली हार के गम में डूबकर घर बैठ गए हैं।
कमलनाथ के अध्यक्ष रहते गोलू अग्निहोत्री को सबसे पहले कार्यकारी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, मगर विधानसभा चुनाव में सक्रिय दिखाई देने वाले अग्निहोत्री ने भी अब गांधी भवन से किनारा कर लिया है। उनके बाद हाल ही में 6 नए कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए, जिनमें देवेंद्रसिंह यादव, अमन बजाज, लच्छू मिमरोट, टंटू शर्मा, अंकित खड़ायता, अरविंद बागड़ी मुख्य थे। इनमें देवेंद्रसिंह यादव को शहर प्रभारी महेंद्र जोशी ने पद दिलवाया। पूर्व विधायक संजय शुक्ला ने अपने खास समर्थक टंटू शर्मा के लिए गोट बिठाई थी। लच्छू मिमरोट स्वप्निल कोठारी के खाते से तो वहीं अमन बजाज सज्जनसिंह वर्मा के खाते से पद लेने में कामयाब हुए थे। अंकित खड़ायता कमलनाथ कोटे से कार्यकारी अध्यक्ष बने थे, वहीं अरविंद बागड़ी को पूर्व में शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था, मगर विरोध के बाद उन्हें पद से हाथ धोना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने विधानसभा तीन से टिकट के लिए दावेदारी पेश की थी, मगर वहां भी उन्हें निराशा ही मिली थी। इन नए बनाए गए कार्यकारी अध्यक्षों को संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई थी, मगर देवेंद्रसिंह यादव और अमन बजाज के अलावा सभी समय-समय पर कुछ समय के लिए गांधी भवन में दिखाई देकर गायब हो जाते हैं। बाकी सभी नए कार्यकारी अध्यक्ष न तो किसी आंदोलन में दिखाई देते हैं न ही गांधी भवन में आयोजित होने वाली बैठकों में शामिल होते हैं।
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