शिमला (New Delhi)। हिमाचल प्रदेश (HP) में कांग्रेस पार्टी की सरकार खतरे में पड़ गई है। राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) में पार्टी के 6 विधायकों की क्रॉस वोटिंग (cross voting) के बाद जहां एक तरफ पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) को हार का सामना करना पड़ा तो दूसरी तरफ कांग्रेस की सुक्खू सरकार गिरने की अटकलें तेज हो गईं हैं।
तीन निर्दलीय और कांग्रेस के 6 विधायकों ने सरकार का साथ छोड़ दिया है। बागियों का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा ने बताया है कि आखिर उन्हें इस तरह का फैसला क्यों लेना पड़ा। सुक्खू सरकार से नाराज सुधीर का कहना है कि वह राज्य से केंद्रीय नेतृत्व तक के सामने अपनी बात पहुंचा चुके थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सुधीर कहते हैं- हर चीज की एक हद होती है।
सुधीर ने कहा कि ‘हमने खुलकर कई मुद्दों पर अपनी निराशा जाहिर की थी, लेकिन ना तो मुख्यमंत्री और ना ही पार्टी हाई कमान ने हमारी शिकायतों को सुना।’ जब उनसे पूछा गया कि आगे क्या करने वाले हैं तो बागी गुट के नेता ने कहा कि मौजूदा सरकार के खिलाफ हुए विधायक अगले कुछ दिनों में आगे का फैसला करेंगे। सुधीर शर्मा ने पिछले सप्ताह दावा किया था कि उनकी जान को खतरा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि एक राजनीतिक विरोधी ने उन्हें खत्म करने के लिए 4 करोड़ रुपए दिए हैं।
सुधीर मौजूदा सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं। धर्मशाला के जदरंगल इलाके में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस के लिए 55 एकड़ जमीन नहीं दिए जाने को लेकर सरकार से नाराजगी जाहिर कर चुके थे। इस बीच कांगड़ा संसदीय सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर उनका नाम लिया गया तो सुधीर शर्मा ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि वह कैबिनेट मंत्री बनने लायक नहीं हैं तो लोकसभा चुनाव लड़ने के काबिल कैसे हो सकते हैं।
सुधीर शर्मा 2012 से 2017 के बीच वीरभद्र सिंह सरकार में शक्तिशाली मंत्री थे। उन्हें सुक्खू सरकार में कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। सुधीर को कांग्रेस के एक अन्य नाराज विधायक राजिंदर राणा का भी साथ मिला जो JOA/IT भर्ती परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके थे। सुधीर शर्मा ने पिछले साल धर्मशाला पुलिस को शिकायत दी थी कि उनके घर के ऊपर ड्रोन उड़ रहे हैं।
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