पुणे। महाराष्ट्र के पुणे जिले के भोर निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व कांग्रेस विधायक संग्राम थोपटे ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों के बीच कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। थोपटे भोर विधानसभा सीट से 3 बार विधायक रहे, लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार शंकर मांडेकर से हार गए थे। बता दें कि थोपटे का परिवार लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा है। वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छह बार भोर से विधायक रहे अनंतराव थोपटे के बेटे हैं।
संग्राम थोपटे ने शनिवार को बताया, ‘मैंने अपना इस्तीफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल और पार्टी के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्नितला को सौंप दिया है।’ उन्होंने शुक्रवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और अपने सोशल मीडिया हैंडल से कांग्रेस का ‘लोगो’ भी हटा लिया था। अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर थोपटे ने कहा कि वह रविवार को अपने समर्थकों के साथ इस पर चर्चा करेंगे। थोपटे का कांग्रेस से यूं इस्तीफा दे देना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
थोपटे के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, ‘अनंतराव थोपटे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। थोपटे परिवार लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा है। संग्राम थोपटे को उस विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए।’ सपकाल ने दावा किया कि जब MVA सत्ता में थी, तब नाना पटोले के इस्तीफे के बाद कांग्रेस संग्राम थोपटे को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाना चाहती थी। हालांकि, तत्कालीन विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी पर दबाव डालकर इस कोशिश को नाकाम कर दिया।
सपकाल ने कहा, ‘फडणवीस ने कोश्यारी पर विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव टालने का दबाव बनाया। नतीजतन, थोपटे यह पद ग्रहण नहीं कर सके।’ फरवरी 2021 में नाना पटोले के इस्तीफे के बाद विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली हो गया था, और जुलाई 2022 में बीजेपी विधायक राहुल नार्वेकर इस पद पर चुने गए। सपकाल ने यह भी दावा किया कि विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी के कारण ही 2022 में शिवसेना में राजनीतिक विभाजन हुआ।
सपकाल ने कहा, ‘यह फडणवीस ही थे जिन्होंने थोपटे के साथ गलत किया। उन्हें फडणवीस के प्रभाव में नहीं आना चाहिए, जिन्होंने उनकी चुनावी हार सुनिश्चित की।’ गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में 15वीं महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए राहुल नार्वेकर निर्विरोध चुने गए थे, क्योंकि विपक्षी MVA ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था।
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