नई दिल्ली । देश की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक कांग्रेस (Congress) सियासी संकट के साथ आर्थिक मुश्किलों से भी घिरती जा रही है। खबर है कि पार्टी बड़े स्तर पर फंड की कमी का सामना कर रही है। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी रुपयों की कमी (short of money) को दूर करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एम) (Communist Party of India) के रास्ते पर भी चलने की तैयारी कर रही है। भारतीय चुनाव आयोग (election commission of india) में दाखिल हुई ऑडिट रिपोर्ट में भी बताया गया था कि कांग्रेस की आय 2020-21 में 58 फीसदी से ज्यादा कम हो गई है।
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस धन की कमी का सामना कर रही है। इससे निपटने के लिए पार्टी वाम दल के केरल मॉडल को अपनाने की भी तैयारी कर रही है। इस मॉडल के तहत वाम दल डोर-टू-डोर अभियान चलाता है, जिसके तहत बड़े स्तर पर घर-घर पहुंचकर धन जुटाया जाता है। साथ ही दानदाताओं को इसके बदले में पर्ची भी दी जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के उदयपुर में आयोजित हुए चिंतन शिविर में भी CPI(M) के मॉडल को लेकर चर्चा की गई थी। केरल कांग्रेस के पूर्व प्रमुख रमेश चेन्नीथला ने इस मॉडल को अपनाने का प्रस्ताव रखा था। खबर है कि सत्र के दौरान 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए संसाधन जुटाने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
रिपोर्ट में पार्टी सूत्र के हवाले से बताया गया, ‘इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इसे किस तरह लागू किया जाएगा और फंड मैनेजमेंट और इसमें पार्दर्शिता जैसे कुछ मुद्दे हैं। इसपर विचार किया जा रहा है कि और टास्क फोर्स 2024 की बैठकों में चर्चा की जाएगी।’
ECI में दाखिल ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में कांग्रेस की आय 285.7 करोड़ रुपये थी। जबकि, इससे पहले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 682.2 करोड़ रुपये था। वित्तीय वर्ष 2018-19 में पार्टी की आय 918 करोड़ रुपये थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, खासतौर से अहमद पटेल के निधन के बाद पार्टी पर आर्थिक मार ज्यादा पड़ी है। पटेल अपने कॉर्पोरेट और अन्य कॉन्टैक्ट्स की मदद से पार्टी फंडिंग का काम संभालते थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी आर्थिक मोर्चा देखते हैं, लेकिन मोदी सरकार में कांग्रेस की आय काफी कम हुई है।
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