अहमदाबाद। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) (Indian National Congress(INC) 64 साल के लंबे अंतराल के बाद गुजरात में अपने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (All India Congress Committee- AICC) के अधिवेशन की मेजबानी करने जा रही है। यह ऐतिहासिक सत्र 8 और 9 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद (Ahmedabad) में आयोजित होगा। इससे पहले गुजरात में आखिरी AICC सत्र 1961 में भावनगर में हुआ था। गुजरात में अपने अस्तित्व के संकट और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार मिल रही चुनावी हार के बीच पार्टी इस सत्र के जरिए नई ऊर्जा प्राप्त करने की कोशिश करेगी।
गुजरात में 64 साल बाद हो रहा यह AICC सत्र कई ऐतिहासिक संयोगों के कारण खास बन गया है। यह साल महात्मा गांधी की एकमात्र कांग्रेस अध्यक्षीय कार्यकाल की शताब्दी और सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का भी प्रतीक है। कांग्रेस 8 अप्रैल को शाहिबाग स्थित सरदार पटेल मेमोरियल में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक करेगी, जबकि 9 अप्रैल को साबरमती नदी के किनारे मुख्य AICC सत्र आयोजित किया जाएगा।
सरदार पटेल की विरासत पर पुनः ध्यान केंद्रित करने की रणनीति?
बीते एक दशक में भाजपा ने सरदार पटेल की विरासत को बड़े स्तर पर अपनाया है और कांग्रेस को इससे दूर करने का प्रयास किया है। ऐसे में सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर कांग्रेस द्वारा गुजरात में यह आयोजन करना महज संयोग नहीं माना जा रहा। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी पटेल समुदाय के समर्थन को फिर से पाने की कोशिश कर रही है, जो माधवसिंह सोलंकी की KHAM (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) सोशल इंजीनियरिंग के बाद कांग्रेस से दूर होता गया था। हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने इस आयोजन के राजनीतिक मायनों से इनकार किया है। गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, “आप सरदार पटेल को किसी एक समुदाय के नजरिए से नहीं देख सकते। वे पूरे राष्ट्र के नेता थे।”
गुजरात में कांग्रेस के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह सत्र?
गुजरात में कांग्रेस पिछले कई दशकों से लगातार कमजोर होती जा रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 77 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन 2022 में यह घटकर 17 सीटों पर आ गई। अब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और पार्टी इस सत्र के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश करेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह सत्र 2027 के गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए भी एक शुरुआती कदम है। कांग्रेस पिछले कई चुनावों में गुजरात में खराब प्रदर्शन से जूझ रही है। हाल के नगर निगम चुनावों में भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में यह सत्र पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने और संगठन को मजबूत करने का प्रयास होगा। इस सत्र में देशभर से करीब 3,000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस इस सत्र के जरिए अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस हासिल कर पाएगी या यह केवल प्रतीकात्मक राजनीति बनकर रह जाएगा।
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