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प्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में जुटी कांग्रेस

November 19, 2022

  • 19 दिसंबर से बुलाया जा सकता है शीतकालीन सत्र

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर में हो सकता है। 19 दिसंबर से 5 दिन तक शीतकालीन सत्र हो सकता है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने गुरूवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में सत्र को लेकर चर्चा हुई थी। ऐसे में पांच दिवसीय विधानसभा सत्र बुलाया जा सकता है। उधर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने शिवराज सरकार के खिलाफ विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस अब प्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। अगामी विधानसभा सत्र में लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दों को लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसकी जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष डा. गोविन्द सिंह और पूर्व विधायक पारस सकलेचा को सौंपी हैं। दोनों ने प्रारंभिक रूपरेखा भी तैयार कर ली है। इस पर चर्चा के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने पांच दिसंबर को बैठक बुलाई है। इसमें अविश्वास प्रस्ताव में सम्मिलित किए जाने वाले विषय और इसे विस के शीतकालीन या बजट में प्रस्तुत करने की कार्ययोजना बनाई जाएगी।
प्रदेश कांग्रेस का इस समय पूरा ध्यान 23 नवंबर से प्रारंभ होने वाली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर है। यह पांच दिसंबर तक मध्य प्रदेश में रहेगी। इसी दौरान कांग्रेस के चुनाव अभियान का शुभारंभ होगा। में के चुनाव अभियान का शुभारंभ होगा। इसी कड़ी में पार्टी जनता को सरकार की असफलता बताने के लिए अविश्वास प्रस्ताव को माध्यम बनाएगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रस्ताव तैयार करने के लिए पहले पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन विंध्य क्षेत्र में चुनाव की तैयारियों में व्यस्तता के कारण उन्होंने असमर्थतता जता दी।

सौ बिंदुओं पर सरकार से मांगा जाएगा उत्तर
पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने बताया कि करीब सौ बिंदु छांटे गए हैं, जिन पर अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सरकार से उत्तर मांगा जाएगा। इसमें प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (अब कर्मचारी चयन मंडल) द्वारा आयोजित शिक्षक व पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई ग़ड़ब़ड़ी, कारम बांध सहित सड़क परियोजनाओं में अनियमितता के कारण हुई जनधन की हानि, ई-टेंडर घोटाले की जांच को दबाने, किसानों की ऋण माफी न करके किसानों को अपात्र बनाए रखने, राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं न होने, अन्य पिछ़ड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न दिला पाने, रिक्त पदों पर भॢतयां न करने, बैकलाग के पद कई वषर्षों से रिक्त रहने, लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषषण प्रकोष्ठ को भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अधिकारियों व कर्मचारियों के विरद्घ अभियोजन की स्वीकृति न देने, पूरक पोषषण आहार और मध्याह्न भोजन में अनियमितता, राशन वितरण में गड़बड़ी सहित अन्य मुद्दों को शामिल किया गया है।


प्रस्ताव में शामिल मुद्दों की छपवाई जाएगी पुस्तिका
सकलेचा ने बताया कि प्रयास यही है कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। यदि किसी कारण से यह संभव नहीं हो सका तो फरवरी-मार्च 2023 में होने वाले बजट सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव में जिन मुद्दों को शामिल किया जाएगा, उनकी पुस्तिका भी छपवाई जाएगी। जिला कमेटियों के माध्यम से इनका वितरण कराया जाएगा। पूरक पोषषण आहार, मध्याह्न भोजन सहित अन्य विषयों को लेकर जिलों में संवाददाता सम्मेलन भी किए जाएंगे।

दोनों पार्टियां कर रही तैयारी
कांग्रेस जहां भाजपा सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है। तो सत्तापक्ष भी शांत नहीं है। भाजपा की रणनीति कमलनाथ सरकार के कार्यकाल को लेकर कांग्रेस को घेरने की है। विधानसभा के आगामी सत्र के प्रदेश की कानून व्यवस्था एवं आपराधिक वारदात को लेकर कांग्रेस की ओर से सवाल लगाए जाएंगे। कांग्रेस गंभीर अपराधों को उठाकर कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाने वाली है और सरकार को घेरने वाली है। सत्तापक्ष भी इस मसले पर पूरी तरह से तैयार है।

इन मुद्दों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष
प्रदेश में लगातार बिजली कटौती और बिजली की कमी को मुद्दा बनाकर कांग्रेस इस मुद्दे को सदन में भी जमकर उठाएगी। तबादलों के चलते प्रदेश में चरमराई प्रशासनिक व्यवस्था पर भी विपक्ष सरकार पर हमलावर रहेगा। तबादलों के खेल में भ्रष्टाचार होने का मुददा भी सदन में उठेगा। किसानों की समस्याओं को भी पार्टी भुनाने की कोशिश में है। महिला सुरक्षा और नाबालिग बच्चियों के साथ प्रदेश में हुई रेप की घटनाएं, हत्या और अपहरण की घटनाओं पर भी पार्टी सरकार को घेरेगी। पटरी से उतरी शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सरकार से सवाल पूछे जाएंगे। कुपोषण, बेरोजगारी, सडक़ों की मरम्मत न होने, रुके निर्माण कार्य के अलावा कई योजनाओं के लिए राशि उपलब्ध न होने को लेकर भी सरकार को सदन में जवाबदार ठहराया जाएगा।

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