भोपाल (Bhopal) । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो बजरंग दल (Bajrang Dal) पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि गुंडों और दंगाइयों को बख्शा नहीं जाएगा। सिंह ने बुधवार को राज्य की राजधानी भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) कार्यालय में मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। राज्य में कांग्रेस पार्टी (congress party) की सत्ता में वापसी के बाद बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘हम बजरंग दल पर प्रतिबंध नहीं लगाएंगे क्योंकि बजरंग दल में कुछ अच्छे लोग भी हो सकते हैं। लेकिन हम दंगों या हिंसा में शामिल किसी को भी नहीं छोड़ेंगे।’
इस बीच, हिंदुत्व मुद्दे पर बात करते हुए सिंह ने कहा, ‘मैं हिंदू था, मैं हिंदू हूं और हिंदू रहूंगा। मैं हिंदू धर्म का पालन करता हूं और सनातन धर्म का अनुयायी हूं। मैं उन सभी बीजेपी नेताओं से बेहतर हिंदू हूं।’ सिंह ने कहा, ‘भारत देश हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को देश को बांटना बंद करना चाहिए। देश में शांति स्थापित करें, शांति से ही देश आगे बढ़ेगा।’ इससे पहले, पीसीसी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती मेरी छोटी बहन हैं और कोई भी देख सकता है कि बीजेपी ने उनके साथ क्या किया। भारती शराबबंदी के खिलाफ किस तरह अपनी लड़ाई लड़ रही थीं, उन्होंने आवाज उठाई लेकिन उन्हें उसमें सफलता नहीं मिली।’ पिछले 20 सालों में बीजेपी का कुशासन रहा है, हर जगह भ्रष्टाचार हुआ है। सिंह ने दावा किया, नौकरियों, ठेकों और यहां तक कि धार्मिक कार्यों में भी भ्रष्टाचार है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। राम मंदिर के लिए हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए लेकिन आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं दी गई। मंदिर निर्माण के लिए 2 करोड़ रुपये की जमीन 20 करोड़ रुपये में खरीदी गई। दिग्विजय ने कहा, ‘वे (भाजपा) केवल हिंदू धर्म के बारे में बात करते हैं लेकिन उनका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। हिंदुत्व का हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, ऐसा खुद सावरकर (स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर) ने कहा था।’
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