न्यायालय के निर्देश पर प्रशासन नियमों में उलझा
इंदौर। न्यायालय के निर्देश पर कांग्रेसी पार्षद नंदिनी मिश्रा को पार्षदी तो मिल गई, लेकिन प्रमाण पत्र के लिए उन्हें अभी और लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है। न्यायालय के निर्देश के बावजूद भी प्रशासन नियमों में उलझा हुआ है। अधिकारियों ने भोपाल के उच्च अधिकारियों से दिशा निर्देश तो मांगे, लेकिन वहां से भी कोई खास अनुमति नहीं मिली। अब किस आधार पर प्रमाण पत्र जारी किया जाए, अधिकारी असमंजस में हैं।
नगर निगम चुनाव में विजय घोषित की गई वार्ड 44 की पार्षद निशा देवलिया द्वारा शपथ पत्र में गलत जानकारी देने के आधार पर न्यायालय ने उनकी पार्षदी निरस्त कर दी और कांग्रेस की प्रत्याशी मिश्रा को उक्त क्षेत्र का पार्षद तो बना दिया है, लेकिन शपथ दिलाने और प्रमाण पत्र देने को लेकर जिला प्रशासन नियमों में उलझा हुुआ है। निर्वाचन की गतिविधियों को लेकर किताबें खंगाली जा रही हैं, लेकिन कोई भी नियम का उल्लेख अधिकारियों को नजर नहीं आ रहा है।
निर्वाचन कार्यालय न्यायालय के निर्देश के बाद प्रमाण पत्र एवं शपथ को लेकर नियमों में उलझकर रह गया है। चुनाव के दौरान निर्वाचित होने वाले प्रत्याशी को प्रमाण पत्र देने एवं शपथ दिलाने की जानकारी होने से अब तक तुरंत ही शपथ दिलाई जाती रही है, लेकिन किसी प्रत्याशी के चुने जाने के बाद उसे अयोग्य घोषित करने और अन्य प्रत्याशी को योग्यता प्रदान करने का यह मामला अधिकारियों के गले की हड््डी बनकर रह गया है।
पार्षद और प्रतिनिधि रोज लगा रहे चक्कर
चुनाव में दूसरे स्थान पर रही कांग्रेस की प्रत्याशी नंदिनी पिंटू मिश्रा को पार्षद घोषित किया गया है, लेकिन अब वे प्रमाण पत्र के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा रही हैं। उनके वकील और साथी भी हर दिन कलेक्टर से दिशा निर्देश मांग रहे हैं। निर्वाचन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोई भी ऐसी जानकारी अब तक नहीं मिली है कि उन्हें किस नियम के आधार पर प्रमाण पत्र दिया जाए। दूसरी ओर जिला न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय को लेकर भाजपा नेता देवलिया ने उच्च न्यायालय में भी अपील की थी, लेकिन उन्हें वहां भी सफलता हासिल नहीं हुई। ज्ञात हो कि पार्षद देवलिया ने अपने शपथ पत्र मे मकान का क्षेत्रफल कम बताकर नगर निगम में सम्पत्ति कर कम जमा किया है, जिसके आधार पर न्यायालय ने उनके चुनाव को शून्य घोषित कर दिया।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved