नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से 25 जून 1975 में लगाई गई इमरजेंसी को 48 साल पूरे हो गए है्ं. इस दिन को बीजेपी ने काला दिवस के रूप में मनाया. 48 साल पहले 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई थी. ऐसे में बीजेपी ने इस दिन काला दिवस मनाते हुए कई जिलों और सभी लोकसभा क्षेत्रों में बड़े-बड़े सम्मेलन किए और इमरजेंसी के पीड़ितों की आपबीती बताई.
इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इंमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और उस पर संवैधानिक अधिकारों को जब्त करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, कांग्रेस वो पार्टी है जिसने आजादी मिलने के बाद, अपना संविधान लागू होने के बाद 48 साल पहले सारे संवैधानिक अधिकारों को दब्त कर लिया. उन्होंने कहा कि देश में कुठारघात करने का पाप कांग्रेस ने किया था. इसी दिन को हम लोकतंत्र के लिए काला दिवस के रूप में मनाते हैं.
इसी के साथ उन्होंने ‘आपातकाल के सेनानी’ फिल्म के बारे में बताया और कहा कि कई ऐसे गुमनाम यौद्धा ऐसे थे जिन्होंने लोकतंत्र के मूल्यों की खातिर कांग्रेस के फासीवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी. आपातकाल भारत के लोकतंत्र का सबसे काला समय था. मीडिया पर ताला लगा दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, लोकतांत्रिक संस्थानों को रबर स्टांप में बदल दिया गया.
बीजेपी ने रविवार को काला दिवस मनाते हुए देशभर में सम्मेलन किए. इसी के साथ बीजेपी ने ये भी बताया कि ये सम्मेलन क्यों जरूरी थे. पार्टी की ओर से बताया गया कि आज की युवा पीढ़ी को इमरजेसी की कुछ खास जानकारी नहीं है. ऐसे में इस सम्मेलन का मकसद युवाओं को कांग्रेस सरकार में हुई ‘लोकतंत्र की हत्या’ से अवगत कराना है.
बता दें, 25 की रात इमरजेंसी लागू होते ही कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया. स्कूलों तक को जेल बना दिया गया. पूरे देश में अराजकता का माहौल हो गया. यहीं वजह है कि कांग्रेस आज भी इसका दंश झेल रही हैं. इंदिरा गांधी के इस एक फैसले के चलते ही 25 जून को इतिहास का सबसे काला दिन कहा जाता है. जिस वक्त इमरजेंसी की घोषणा की गई, उस वक्त फखरुद्दीन अली अहमद देश के राष्ट्रपति थे. उन्होंने इंदिरा गांधी के कहने पर ही संविधघान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी.
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