भोपाल। प्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कई मुद्दों तूल देने में लगे हैं, लेकिन उपचुनाव सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच का हो गया है। दोनों दलों की ओर दोनो नेता खुद मुद्दा बन गए हैं। जबकि कांग्रेस में दिग्विजय सिंह प्रचार में ज्यादा सक्रिय नहीं है। इसी तरह भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया उतने सक्रिय नहीं है, जितने वे सात दिन पहले थे। भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एवं चेहरे पर ही उपचुनाव में है। पिछले एक हफ्ते के भीतर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर व्यक्गित हमले किए। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने ही शिवराज के नारियल फोडऩे, जनता को घुटना टेककर प्रमाण करने, घोषणाएं करने को लेकर हमले किए। इस बीच किसान कांगे्रस ने शिवराज को भूखा-नंगा बता दिया। कांगे्रस के इन आरोपों को भाजपा ने पूरी तरह से भुना लिया है और अब शिवराज चुनाव के केंद्र में आए गए हैं। अभी तक ग्वालियर-चंबल में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवराज-भाजपा से परे महाराज के नाम पर वोट मांग रहे थे, लेकिन सिंधिया भी अब पीछे रह गए हैं। भाजपा भी अब सीधे तौर पर कमलनाथ पर हमले बोल रही हैं। क्योंकि पीसीसी चीफ कमलनाथ ने अपनी राजनीतिक चतुराई से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उपचुनाव की रणनीति में पर्दे के पीछे कर दिया है। दिग्विजय सिंह चुनावी रणनीतियां बना रहे हैं, लेकिन वे कमलनाथ की तरह खुलकर मैदान में नहीं है। इसकी वजह यह है कि यदि दिग्विजय सिंह ज्यादा सक्रिय होते हैँ तो फिर भाजपा फिर से मिस्टर बंटाधार के मुद्दे को भुनाती है। वहीं इधर भाजपा में सिर्फ सिंधिया के विरोध में नारे लगे रहे हैं। अन्य किसी नेता का विरोध नहीं हो रहा है। ऐसे में भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति बदल दी है।
उपचुनाव में सिर्फ भाजपा, महाराज नहीं
पिछले हफ्ते सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक ऑडियो आया था, जिसमें वे ग्रामीणों से यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि ‘सबको संदेश पहुंचा दो कि यह चुनाव भाजपा या शिवराज का नहीं है यह महाराज का चुनाव हैÓ। सिंधिया के इस वीडियो को भाजपा में हाईकमान एवं संघ मुख्यालय तक सुना गया है। खबर है कि अब उपचुनाव में सिर्फ भाजपा है और शिवराज सिंह चौहान एक मात्र चेहरा है।
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