नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम केस में झटका लगा है. सूरत की एक कोर्ट ने मोदी उपनाम वाले बयान को लेकर राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी याचिका गुरुवार (20 अप्रैल) को खारिज कर दी. इस पर कांग्रेस ने कहा है कि जजमेंट को जल्द ही चुनौती दी जाएगी.
वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भरोसा है कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट सूरत के सत्र कोर्ट की गई गलती को सही करेगा. उन्होंने कहा कि जजमेंट के दूसरे पार्ट में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मानहानि हुई, लेकिन वो तो इसमें पक्ष ही नहीं है. पीएम मोदी ने कभी इसको लेकर शिकायत भी नहीं की.
‘किसी ने शिकायत नहीं की’
सिंघवी ने कहा कि मैं अखिल भारतीय स्तर का नेता हूं तो आप दो साल की सजा देंगे या फिर चर्चा करेंगे. यह गलत है कि नहीं. मैं आपको गाली दूं तो आप शिकायत करेंगे ना. उन्होंने (राहुल गांधी) जो तीन नाम लिए उनमें से तो किसी ने शिकायत नहीं की है.
पीएम मोदी का किया जिक्र
सिंघवी ने निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह न्याय के मूलभूत आधारों का हनन है. राहुल गांधी के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग ने समझ लिया है कि पीएम मोदी उनके नाम को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसका उलटा असर हो रहा है. सिंघवी ने आगे कहा कि राहुल गांधी की आवाज बंद नहीं होगी. वो जनता की अदालत में अपनी बात कहते हैं. उन्होंने ना गलत कहा है ना कहेंगे. हम पर डराने धमकाने का कोई असर नहीं होगा.
मामला क्या है?
राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे. इसी साल 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी की दायर आपराधिक मानहानि के मामले में उन्हें दोषी करार दिया था और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी. इसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था.
बता दें कि निचली अदालत ने राहुल गांधी को कर्नाटक के कोलार में 2019 के दौरान एक चुनावी रैली में की गई उनकी टिप्पणी ‘‘सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है’’ के लिए दोषी ठहराते हुए यह दो साल की सजा सुनाई थी.
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