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    कांग्रेस का आरोप-MP के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में करोड़ों का घोटाला !

  • July 07, 2023

    इंदौर (Indore)। प्रदेश का सबसे बड़ा इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (Devi Ahilya University) एक बार फिर घोटाले को लेकर चर्चा में हैं। यहां सफाई व्यवस्था (cleaning system) और सुरक्षा को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। जिन एजेंसियों को ये ठेके दिए गए हैं, उनकी मिली भगत से करीब 2 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है, हालांकि जिम्मेदार किसी भी तरह के घोटाले से इनकार कर रहे हैं।

    इंदौर के ए प्लस ग्रेड प्राप्त देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (Devi Ahilya University) पर एक बार फिर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाया कि डीएवीवी के रजिस्ट्रार अजय वर्मा,डिप्टी रजिस्ट्रार प्रज्वल खरे और वित्त नियंत्रक दिलीप वर्मा ने आशापुरी आउट सोर्सिंग प्राइवेट लिमिटेड और कामधेनु सिक्योरिटीज़ कंपनी के साथ षड्यंत्र रचकर डीएवीवी में करोड़ों का घोटाला किया है।



    इंदौर के ए प्लस ग्रेड प्राप्त देवी अहिल्या विश्वविद्यालय पर एक बार फिर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाया कि डीएवीवी के रजिस्ट्रार अजय वर्मा, डिप्टी रजिस्ट्रार प्रज्वल खरे और वित्त नियंत्रक दिलीप वर्मा ने आशापुरी आउट सोर्सिंग प्राइवेट लिमिटेड और कामधेनु सिक्योरिटीज़ कंपनी के साथ षड्यंत्र रचकर डीएवीवी में करोड़ों का घोटाला किया है।

    इंदौर. प्रदेश का सबसे बड़ा इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय एक बार फिर घोटाले को लेकर चर्चा में हैं, यहां सफाई व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। जिन एजेंसियों को ये ठेके दिए गए हैं, उनकी मिली भगत से करीब 2 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है, हालांकि जिम्मेदार किसी भी तरह के घोटाले से इनकार कर रहे हैं।

    इंदौर के ए प्लस ग्रेड प्राप्त देवी अहिल्या विश्वविद्यालय पर एक बार फिर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाया कि डीएवीवी के रजिस्ट्रार अजय वर्मा, डिप्टी रजिस्ट्रार प्रज्वल खरे और वित्त नियंत्रक दिलीप वर्मा ने आशापुरी आउट सोर्सिंग प्राइवेट लिमिटेड और कामधेनु सिक्योरिटीज़ कंपनी के साथ षड्यंत्र रचकर डीएवीवी में करोड़ों का घोटाला किया है।

    कांग्रेस का आरोप है कि सुनियोजित षड्यंत्र के तहत डीएवीवी में मात्र 65 कर्मचारियों की जरूरत थी, लेकिन उसके बजाए 180 कर्मचारियों की फर्जी डिमांड बनाकर टेंडर पास कराकर आशापुरी कंपनी को काम दे दिया गया। अब यहां मात्र 65 कर्मचारियों से काम कराकर 180 कर्मचारियों का वेतन निकाला जा रहा है. ये कंपनी कंप्यूटर ऑपरेटर सहित दूसरे काम करने वालों की सप्लाई करती है।

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