नई दिल्ली (New Delhi) । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक (all party meeting) में शनिवार को मणिपुर (Manipur) की स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान कई विपक्षी दलों (opposition parties) ने प्रदेश में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की अपील की। हालांकि, सरकार ने इसको लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (Chief Minister N. Biren Singh) को हटाने की मांग की तो कुछ विपक्षी पार्टियों ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का आग्रह किया। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि वह सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है।
कांग्रेस ने बैठक को ‘औपचारिकता’ करार देते हुए कहा कि केंद्र को प्रदेश में शांति बहाली के लिए गंभीर पहल करनी चाहिए और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का तत्काल इस्तीफा लिया जाना चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि PM मोदी को इस मामले पर ‘चुप्पी’ तोड़नी चाहिए। कांग्रेस की ओर से इस बैठक में शामिल हुए मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री रहते शांति संभव नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बैठक में उन्हें कुछ मिनट का समय दिया गया, जबकि उन्होंने अपनी बात रखने के लिए और समय मांगा था।
इंफाल में होनी चाहिए थी सर्वदलीय बैठक: जयराम रमेश
सर्वदलीय बैठक को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘बेहतर होता कि सर्वदलीय बैठक इंफाल में होती जिससे एक संदेश जाता कि मणिपुर की पीड़ा देश की पीड़ा है। वहां अलग-अलग मिलिटेंट ग्रुप हैं जिनके पास हथियार हैं। हमारी मांग है कि बिना किसी भेदभाव के सारे मिलिटेंट ग्रुप से हथियार वापस लिए जाएं। जब तक एन. बीरेन सिंह मुख्यमंत्री रहेंगे तब तक मणिपुर में परिवर्तन की संभावना नहीं है, उनसे इस्तीफा लेना चाहिए। मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकारा है कि मैं स्थिति को संभाल नहीं पाया, ऐसे हालात में उनका मुख्यमंत्री रहना नामुमकिन है।’
मणिपुर में शांति बहाली के लिए सारे प्रयास: संबित पात्रा
जयराम रमेश ने कहा कि 2001 में जून के महीने में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब मणिपुर जल रहा था। उसके बाद मणिपुर अमन, शांति और विकास के रास्ते पर लौट आया उसका प्रमुख कराण है कि ओकरम इबोबी सिंह (मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री) ने 15 साल वहां स्थिर सरकार दी। वहीं, बैठक के बाद BJP के मणिपुर प्रभारी संबित पात्रा ने बयान दिया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर मणिपुर में शांति बहाली के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं। पात्रा के मुताबिक, गृह मंत्री शाह ने बैठक में यह भी कहा कि मणिपुर में हिंसा की शुरुआत से एक दिन भी ऐसा नहीं रहा होगा जब उन्होंने हालात को लेकर पीएम मोदी से बात नहीं की हो या फिर प्रधानमंत्री ने निर्देश नहीं दिए हों।
TMC बोली- क्या मणिपुर को कश्मीर बनाने की कोशिश?
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा, ‘पटना में विपक्षी दलों की बैठक के 24 घंटों के भीतर मणिपुर के विषय पर हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने एकजुटता के साथ अपनी बात रखी।’ सर्वदलीय बैठक को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने बयान जारी करके प्रश्न किया कि क्या सरकार मणिपुर को कश्मीर में बदलने की कोशिश कर रही है। उसने हिंसा प्रभावित मणिपुर में सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजने की मांग की। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने बताया कि मणिपुर को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में लगभग सभी विपक्षी दलों का यही कहना था कि मणिपुर की जनता को वहां के मुख्यमंत्री पर विश्वास नहीं रहा। झा ने कहा, ‘मौते हो रही हैं, पलायन हो रहा है। वहां के नेतृत्व पर लोगों को विश्वास नहीं है। पूरे विपक्ष ने यह बात कही है।’
सर्वदलीय बैठक में ये पार्टियां हुईं शामिल
भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने बैठक में भाग लिया। मीटिंग में भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, मेघालय के मुख्यमंत्री व नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा, शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नेता एम. थंबी दुरई, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता तिरुचि शिवा, बीजू जनता दल (बीजद) के नेता पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा शामिल हुए। बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, नित्यानंद राय और अजय कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका भी शामिल हुए।
मणिपुर में क्यों भड़की है हिंसा?
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच 3 मई को भड़की हिंसा में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और 3 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) कैटेगरी में शामिल करने की मांग का विरोध हुआ। इसे लेकर छात्रों के एक संगठन की ओर 3 मई को बुलाई गई ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क गई थी। शाह ने पिछले महीने चार दिन के लिए राज्य का दौरा किया था और मणिपुर में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी।
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