नई दिल्ली (New Delhi) । दिल्ली के बजट (Budget) के कुछ प्रावधानों पर केंद्र की आपत्ति के बाद इसे टाल दिया गया है। दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) में बजट पेश करने के लिए मंगलवार का दिन तय था। बजट टलने से केंद्र (Central government) और दिल्ली सरकार (Delhi Government) में नया टकराव शुरू हो गया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर निशाना साधा है। इस पर एलजी कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने भी प्रतिक्रिया दी है।
यह पहला मौका : दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार, करीब दस दिन पहले बजट को मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा गया था। इस बीच 21 मार्च को बजट पेश करने की तारीख तय हो गई। दिल्ली सरकार का आरोप है कि केंद्र ने जानबूझकर बजट पेश होने वाले एक दिन पहले उसे मंजूरी देने के बजाय सवाल पूछे हैं। दिल्ली सरकार के इतिहास में यह पहला मौका है जब केंद्र की आपत्ति की वजह से तय तारीख पर बजट पेश नहीं हो पाएगा।
मंत्रालय का तर्क : गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि 9 मार्च को उपराज्यपाल ने फाइनेंशियल स्टेटमेंट को टिप्पणियों के साथ मुख्यमंत्री को भेज दिया था। फिर दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय से स्वीकृति मांगी। गृह मंत्रालय ने भी दिल्ली सरकार को 17 मार्च को अपनी टिप्पणी से अवगत करा दिया था। मंत्रालय के अनुसार, चार दिन से जवाब का इंतजार किया जा रहा है।
राजनिवास का दावा : राजनिवास के सूत्रों ने दावा किया कि बजट की फाइल एलजी सचिवालय में सोमवार रात 9:25 बजे मिली। एलजी की मंजूरी के बाद रात 10:05 बजे फाइल आगे की कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को वापस भेज दी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ”दिल्ली में मंगलवार को बजट पेश नहीं होगा। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि बजट पेश होने की तारीख तय थी, लेकिन उससे एक दिन पहले शाम को केंद्र सरकार ने बजट पर रोक लगा दी है।”
बजट पेश करने की यह है प्रक्रिया
दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा का कहना है कि केंद्र ही दिल्ली के बजट को अंतिम मंजूरी देता है। यहां वित्त मंत्री बजट को सिर्फ सदन में पढ़ता है। वह एक लाइन भी बदलाव नहीं कर सकता है। पिछली सरकारें अमूमन बजट पर मंजूरी लेने के बाद ही तारीखें घोषित करती थीं।
आरोप : विज्ञापन का खर्च ज्यादा, विकास पर कम
सूत्रों की मानें तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि बजट में विज्ञापन पर ज्यादा, विकास पर कम जोर क्यों दिया गया है। बजट का मात्र 20 पूंजीगत व्यय पर खर्च करने का प्रस्ताव है। यह दिल्ली के लिए पर्याप्त नहीं। केजरीवाल सरकार दो साल में विज्ञापन खर्च दोगुना कर चुकी है। आयुष्मान भारत जैसी केन्द्रीय योजनाओं का लाभ दिल्ली की जनता को नहीं दिया जा रहा।
जवाब : प्रचार-प्रसार पर खर्च पिछली बार के बराबर
दिल्ली सरकार का आरोप है कि बजट पेश होने से एक दिन पहले शाम पांच बजे केंद्र से चिट्ठी मिली। बजट पेश करने से रोकने को जानबूझकर ऐसा किया गया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस साल विज्ञापन पर 550 करोड़ खर्च होंगे। सरकार का दावा है कि पिछले साल भी विज्ञापन का बजट इतना ही था। कुल वार्षिक बजट में 22000 करोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जाने का प्रस्ताव है।
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