नई दिल्ली(New Delhi) । बुधवार को ध्वनि मत (Voice vote)से ओम बिरला(Om Birla) को लोकसभा का स्पीकर(speaker of lok sabha) चुन लिया गया। कांग्रेस नेतृत्व(Congress Leadership) ने इस चुनाव में मत विभाजन (division of votes in election)के लिए दबाव नहीं बनाया। ऐसा कहा जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस के स्टैंड के कारण विपक्ष के द्वारा वोटिंग के लिए दबाव नहीं बनाया गया। आपको बता दें कि इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दल एसपी, डीएमके, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी के सुरेश के नाम का प्रस्ताव पेश किया, लेकिन टीएमसी इससे दूर रही। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा। प्रोटेम स्पीकर ने ध्वनि मत से इसे पारित कर दिया।
इससे पहले ममता बनर्जी की पार्टी ने इस बात की शिकायत की थी कि के सुरेश के नाम पर उससे सलाह नहीं ली गई। जब विपक्ष ने उन्हें मनाने की कोशिश की तो टीएमसी ने कहा कि वह स्पीकर के चुनाव से पहले बुधवार सुबह अपना फैसला बताएगी।
सूत्रों ने कहा कि ध्वनि मत की अनुमति देने के फैसले से पता चलता है कि टीएमसी ने मत विभाजन के लिए इंडिया गठबंधन का मन से साथ नहीं दिया। हालांकि, बाद में इस मुद्दे पर काफी भ्रम की स्थिति रही। कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह पेपर या इलेक्ट्रॉनिक वोट से मतदान नहीं चाहती है। एआईसीसी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “इंडिया गठबंधन ने अध्यक्ष पद के लिए के सुरेश का नाम प्रस्तावित कर लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया और ध्वनि मत से मतदान कराया गया। इंडिया गठबंधन मत विभाजन के लिए दबाव डाल सकता था, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।”
रमेश ने कहा कि इंडिया गठबंधन सहयोग की भावना को मजबूत करने के लिए आम सहमति चाहता था, जिसकी पीएम और एनडीए के कार्यों में बहुत कमी है।
हालांकि, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी और कल्याण बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि कई सांसदों ने मतदान की मांग की थी, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने विभाजन की अनुमति नहीं दी क्योंकि सरकार के पास चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी। अभिषेक ने इसे अनैतिक कहा।
इस बीच कांग्रेस उपसभापति पद के लिए चुनाव लड़ने पर गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि वह इस मुद्दे पर सरकार के रवैये से नाराज है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि पद के लिए प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा और उसके बाद निर्णय लिया जाएगा।
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