पटना। बिहार में इंडी गठबंधन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उसका कारण खुद इंडी गठबंधन के प्रमुख सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। जदयू ने साफ कर दिया है कि 2019 में उन्होंने 16 सीटें जीती थीं। ऐसे में वह किसी भी कीमत में 16 सीटें नहीं छोड़ेंगे। अब बाकी बची 24 सीटों पर राजद-कांग्रेस और वाम दल आपस में बांट लें।
नीतीश कुमार के इस रुख से सबसे ज्यादा झटका राजद को लगा है। उसे यह उम्मीद थी कि नीतीश कुमार गठबंधन को साधने के लिए अपने हितों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे। अब राजद के सामने बहुत बड़ी दुविधा है, क्योंकि वाम दलों ने 9 और कांग्रेस ने 10 सीटों का प्रस्ताव सामने रख दिया है। राजद इनकी बात मान भी ले तो उसके पास केवल 5 सीटें ही लड़ने के लिए बची हैं।
जेडीयू ने वाम दलों और कांग्रेस की मांग को देखते हुए सीट-बंटवारे की बैठक से दूरी बना ली है। वाम दलों की मानें तो उन्होंने 2019 में बेगूसराय और आरा में भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। वह यहां दूसरे स्थान पर रहे थे। मधुबनी और बांका में भी उनका प्रदर्शन ठीक रहा था।
वाम दलों का राजनीतिक इतिहास रहा है कि अगर गठबंधन में उन्हें मनमुताबिक सीट न मिलें तो वह फ्रेंडली फाइट पर उतर आते हैं। ऐसे में वह अपने ही गठबंधन के साथियों का नुकसान कर देते हैं। 2019 में सिवान में वाम दल ने राजद के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार दिया था।
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